हर बार मैं खुद को लाचार पाती हूँ, तेरे होते क्यों, दादी, मैं हार जाती हूँ?
हर कदम क्या यूँ ही मैं ठोकर खाऊँगी? माँ, इतना कह दे, क्या मैं जीत न पाऊँगी? तेरी चौखट पे मैं क्या बेकार आती हूँ? तेरे होते क्यों, दादी, मैं हार जाती हूँ?
तू अपनी बेटी को क्यों भूली-बिसरी है? लाडो अरदास लिए चौखट पे पसरी है। तेरी ममता याद दिलाने तेरे द्वार आती हूँ, तेरे होते क्यों, दादी, मैं हार जाती हूँ?
मेरे हाथ पकड़ ले माँ, मैं इतना ही चाहूँ, स्वाति, फिर जीवन में मैं हार न पाऊँ। अरमान ये हर्ष लिए दरबार आती हूँ, तेरे होते क्यों, दादी, मैं हार जाती हूँ?
तेरे होते क्यों दादी में हार जाती हुँ || Swati Agarwal || Rani Sati Dadi Bhajan 2021 || Sci Bhajan
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