सोचिये बांसुरी के सुरों पर जरा
चित्र राधा का मन में उभर आएगा
जब भी कान्हा कीयादो में जायेंगे हम
मोरपंख हवा में उतर आएगा
जय राधे जय राधे
जय जय श्री राधे
मन में गोकुल की संकरी गली देखिये
घर से राधा निकल कर चली देखिये
कैसे कांटो से खुद को बचाती है वो
खिल रही जो कलि वो कलि देखिये
पायले गुनगाने लगी घाट पर
सोचिये बांसुरी के सुरों पर जरा
चित्र राधा का मन में उभर आएगा
जब भी कान्हा कीयादो में जायेंगे हम
मोरपंख हवा में उतर आएगा
कंकरी मार कर गागरी फोड़ दी
हड़बड़ी में हरी डाल ही तोड़ दी
प्यार की हर लता लगी जब सूखने
हमने धीरे से पूरी कथा मोड़ दी
है कथा प्यार के रस में भीगी हुयी
है कथा प्यार के रस में भीगी हुयी
ये कथा जो भी बाचेगा तर जाएगा
सोचिये बांसुरी के सुरों पर जरा
चित्र राधा का मन में उभर आएगा
जब भी कान्हा कीयादो में जायेंगे हम
है कदम का मन थोडा डरने लगा
झाड़ियों का बदन भी सिहरने लगा
फिर से यमुना में तरंगे उठी
डूब जाने का मन फिर से करने लगा
बांसुरी जिस दिशा में भी बजने लगी
मन किसी का कहीं हो उधर जायेगा
सोचिये बांसुरी के सुरों पर जरा
चित्र राधा का मन में उभर आएगा
जब भी कान्हा कीयादो में जायेंगे हम
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