चरखा वे माहिया तेरे वेखन नू चुक चरखा गली दे विच पावा सोंग
वे माहिया तेरे वेखन नू
चुक चरखा गली दे विच पावा
वे लोक पाने मैं कातती
तंद तेरिया यादा दे पांवा
चरखे दी ऊ कर दे ओले,
याद तेरी दा तुम्बा बोले
वे निम्मा निम्मा गीत छेड के
तंग कत दी हुलारे पावा
वसन नि दे रहे सोरे पेके
मेनू तेरे पये पुलेखे
वे हुन मेनू दस माहिया
तेरे बाजू किदर में जावा
हो ईद आई मेरा यार नी आया
तेरा वे खैर होवे ओ तंद
हार सिंगार चंगे नइ लगदे
हो किसी चीज पे नजर ना जांदी
सुखा वालिया नीदरा मांगे
यार मिले तो मैं ईद मनावा
चरखा (वे माहिया तेरे वेखन नू हिंदी में अर्थ
वे माहिया तेरे वेखन नू
चुक चरखा गली दे विच पावा
( यहाँ पर नायक से उसकी प्रेमिका कहती है की उसने अपने प्रेमी को दिखने /दिखने के लिए चरखा गली में डाल लिया है )
वे लोक पाने मैं कातती
तंद तेरिया यादा दे पांवा
(तंद-धागा, पावा-डालना , लोग सोचते हैं की में सूत कात रही हूँ लेकिन में तो तुम्हारी यादों के धागों को ही उसमे डाल रही हूँ
चरखे दी ऊ कर दे ओले,
याद तेरी दा तुम्बा बोले
(मैंने चरखा एक रखा है, छायाँ में और मेरे दिल में तुम्हारी यादो का संगीत बज रहा है )
वे निम्मा निम्मा गीत छेड के
तंग कत दी हुलारे पावा
(मैं धीरे धीरे से तुम्हारी यादो के गीत गुनगुना रही हु और साथ ही बहुत ही नाजुक तरीके से यादों में खोई हूँ )
वसन नि दे रहे सोरे पेके
मेनू तेरे पये पुलेखे
(लोग मुझे चैन और सुकून से रहने नहीं दे रहे हैं लेकिन मुझे तो तुम्हारा ही ख्याल आता है, ऐसा लगता है की तुम आ गए हो )
वे हुन मेनू दस माहिया
तेरे बाजू किदर में जावा
(मेरे प्रिय अब तुम ही कहो की में तुम्हारे सिवा कहाँ जाऊ )
हो ईद आई मेरा यार नी आया
तेरा वे खैर होवे ओ तंद
(ईद आ गयी है मेरा प्रिय नहीं आया खुदा खैर बक्शे मेरे प्रिय को )
हार सिंगार चंगे नइ लगदे
हो किसी चीज पे नजर ना जांदी
(आभुषनो पर, सजने सवरने पर अब कोई रूचि नहीं है, मुझे कोई भी चीज अच्छी नहीं लगती है )
सुखा वालिया नीदरा मांगे
यार मिले तो मैं ईद मनावा
(मैं अब वो रात चाहती हु जिसमे मुझु सकून मिले, मेरा यार मिले तो मेरी ईद हो। तभी मेरी ईद होगी। )चरखा (वे माहिया तेरे वेखन नू)
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Chuk Charakha Galee De Vich Paava
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Tand Teriya Yaada De Paanva
Charakhe Dee Oo Kar De Ole,
पंजाबी गीतों में चरखे का महत्त्व बहुत अधिक है। चरखा एक ऐसी वस्तु है जो पंजाबी संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह पंजाबी महिलाओं का प्रतीक है, जो पारंपरिक रूप से घर पर काम करती हैं और अपने परिवार के लिए कपड़े बनाती हैं। पंजाब में, चरखा का उपयोग सूत कातने के लिए किया जाता है। सूत का उपयोग कपड़े, दरी और अन्य वस्तुओं को बनाने के लिए किया जाता है। चरखा एक सरल उपकरण है, लेकिन यह बहुत उपयोगी है।
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Author - Saroj Jangir
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