हृदय में आरसी जी रे
मुख देखा नहीं जाय
मुख तो तब ही देखिये
फेर दिल की दुविधा जाय
ऊँचे महल चुनाव्ते
करते होड़म होड़
ते मंदिर खाली पड़े
सब गए पलक में छोड़
आया है सब जायगा
राजा रंक फकीर
कोई सिंघासन चढ़ चले
कोई बंधे जंजीर
सब आया एक ही घाट से
ने उतरा एक ही बाट
बीच में दुविधा पड गयी
तो हो गयी बाराबाट
घाटे पानी, सब भरे
ओघट भरे नहीं कोय
ओघट घाट कबीर का
भरे सो निर्मल होय
जो तू सांचा बानिया
तो साँची हाट लगाय
अन्दर झाड़ू लगाय के
कचरा डेट बहाय
रंगमहल में अजब शहर में
आजा रे हंसा भाई
निर्गुण राजा पे सिरगुन सेज बिछाई
रंगमहल में अजब शहर में
आजा रे हंसा भाई
उना देवलिया में देव नाही
उना मंदारिया में देव नाही
थारा रंगमहल में अजब शहर में
आजा रे हंसा भाई
निर्गुण राजा पे सिरगुन सेज बिछाई
घुघरा कसे
थारा
रंगमहल में अजब शहर में
आजा रे हंसा भाई
उना देवलिया में देव नाही
उना मंदारिया में देव नाही
थारा रंगमहल में अजब शहर में
आजा रे हंसा भाई
निर्गुण राजा पे सिरगुन सेज बिछाई
अमृत प्याला भर पावो
भायला से
रंगमहल में अजब शहर में
आजा रे हंसा भाई
उना देवलिया में देव नाही
झालर कूटे गरज कैसी
उना मंदारिया, में देव नाही
थारा रंगमहल में अजब शहर में
आजा रे हंसा भाई
निर्गुण राजा पे सिरगुन सेज बिछाई
झालर कूटे गरज कैसी
अरे हाँ रे भाई,अमृत प्याला भर पाओ
भाईला से भान्त कैसी
अरे हाँ रे भाई कहें कबीर विचार
सेन माहीं सेन मिली
थारा रंगमहल में अजब शहर में
सत श्री कबीर साहेब
मुख देखा नहीं जाय
मुख तो तब ही देखिये
फेर दिल की दुविधा जाय
ऊँचे महल चुनाव्ते
करते होड़म होड़
ते मंदिर खाली पड़े
सब गए पलक में छोड़
आया है सब जायगा
राजा रंक फकीर
कोई सिंघासन चढ़ चले
कोई बंधे जंजीर
सब आया एक ही घाट से
ने उतरा एक ही बाट
बीच में दुविधा पड गयी
तो हो गयी बाराबाट
घाटे पानी, सब भरे
ओघट भरे नहीं कोय
ओघट घाट कबीर का
भरे सो निर्मल होय
जो तू सांचा बानिया
तो साँची हाट लगाय
अन्दर झाड़ू लगाय के
कचरा डेट बहाय
रंगमहल में अजब शहर में
आजा रे हंसा भाई
निर्गुण राजा पे सिरगुन सेज बिछाई
रंगमहल में अजब शहर में
आजा रे हंसा भाई
उना देवलिया में देव नाही
उना मंदारिया में देव नाही
थारा रंगमहल में अजब शहर में
आजा रे हंसा भाई
निर्गुण राजा पे सिरगुन सेज बिछाई
घुघरा कसे
थारा
रंगमहल में अजब शहर में
आजा रे हंसा भाई
उना देवलिया में देव नाही
उना मंदारिया में देव नाही
थारा रंगमहल में अजब शहर में
आजा रे हंसा भाई
निर्गुण राजा पे सिरगुन सेज बिछाई
अमृत प्याला भर पावो
भायला से
रंगमहल में अजब शहर में
आजा रे हंसा भाई
उना देवलिया में देव नाही
झालर कूटे गरज कैसी
उना मंदारिया, में देव नाही
थारा रंगमहल में अजब शहर में
आजा रे हंसा भाई
निर्गुण राजा पे सिरगुन सेज बिछाई
झालर कूटे गरज कैसी
अरे हाँ रे भाई,अमृत प्याला भर पाओ
भाईला से भान्त कैसी
अरे हाँ रे भाई कहें कबीर विचार
सेन माहीं सेन मिली
थारा रंगमहल में अजब शहर में
सत श्री कबीर साहेब
रंगमहल में अजब शहर में
आजा रे हंसा भाई
निर्गुण राजा पे सिरगुन सेज बिछाई
रंगमहल में अजब शहर में
आजा रे हंसा भाई
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Author - Saroj Jangir
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