थारा रंगमहल में अजब शहर में भजन

थारा रंगमहल में अजब शहर में भजन प्रहलाद सिंह टिपानिया

 
थारा रंगमहल में अजब शहर में लिरिक्स Thara Rangmahal Me Ajab Lyrics

हृदय में आरसी जी रे
मुख देखा नहीं जाय
मुख तो तब ही देखिये
फेर दिल की दुविधा जाय
ऊँचे महल चुनाव्ते
करते होड़म होड़
ते मंदिर खाली पड़े
सब गए पलक में छोड़
आया है  सब जायगा
राजा  रंक फकीर
कोई सिंघासन चढ़ चले
कोई  बंधे जंजीर
सब आया एक ही घाट से
ने उतरा एक ही बाट
बीच में दुविधा पड गयी
तो हो गयी बाराबाट
घाटे पानी, सब भरे
ओघट भरे नहीं कोय
ओघट घाट कबीर का
भरे सो निर्मल होय
जो तू सांचा बानिया
तो साँची हाट लगाय
अन्दर झाड़ू लगाय के
कचरा डेट बहाय

रंगमहल में अजब शहर में
आजा रे हंसा भाई
निर्गुण राजा पे सिरगुन सेज बिछाई
रंगमहल में अजब शहर में
आजा रे हंसा भाई
उना देवलिया में देव नाही
उना मंदारिया में देव नाही
थारा रंगमहल में अजब शहर में
आजा रे हंसा भाई
निर्गुण राजा पे सिरगुन सेज बिछाई
घुघरा कसे
थारा
रंगमहल में अजब शहर में
आजा रे हंसा भाई
उना देवलिया में देव नाही
उना मंदारिया में देव नाही
थारा रंगमहल में अजब शहर में
आजा रे हंसा भाई
निर्गुण राजा पे सिरगुन सेज बिछाई

अमृत प्याला भर पावो
भायला से
रंगमहल में अजब शहर में
आजा रे हंसा भाई
उना देवलिया में देव नाही
झालर कूटे गरज कैसी
उना मंदारिया, में देव नाही
थारा रंगमहल में अजब शहर में
आजा रे हंसा भाई
निर्गुण राजा पे सिरगुन सेज बिछाई
झालर कूटे गरज कैसी
अरे हाँ रे भाई,अमृत प्याला भर पाओ
भाईला से  भान्त कैसी
अरे हाँ रे भाई कहें कबीर विचार
सेन माहीं सेन मिली
थारा रंगमहल में अजब शहर में
सत श्री कबीर साहेब
रंगमहल में अजब शहर में
आजा रे हंसा भाई
निर्गुण राजा पे सिरगुन सेज बिछाई
रंगमहल में अजब शहर में
आजा रे हंसा भाई


Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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