इस बूंद पड़ा दरियाव सब कोई जानत

इस बूंद पड़ा दरियाव सब कोई जानत है

 
इस बूंद पड़ा दरियाव सब कोई जानत है Is Bund Pada Dariyav Sab Koi Janat Hai Lyrics

इस बूंद पड़ा दरियाव सब कोई जानत है
समुद्र समाना बूंद में जाने बिरला कोई

मन मस्त हुआ फिर क्या बोले
हीरा पाया बाँध गठड़िया
बार बार वाको क्यों खोले

हलकी थी जब चढ़ी तराजू
पूरी भरी फिर क्यों तोले

सूरत कलालंन भई मतवाली
मदवा पी गयी अनतोल

हंसा पावे मानसरोवर
ताल तलाई में क्या डोले

कहे कबीर सुनो भई साधो
साहिब मिल गया तिल ओले
 
"इस बूंद पड़ा दरियाव सब कोई जानत है, समुद्र समाना बूंद में जाने बिरला कोई"
सामान्यतः हम जानते हैं कि एक बूंद समुद्र में मिलकर अपना अस्तित्व खो देती है। लेकिन जब पूरा समुद्र एक बूंद में समा जाए, यह समझना दुर्लभ और गूढ़ है। यह आत्मा के परमात्मा में विलीन होने और फिर परमात्मा के आत्मा में समाहित होने की ओर संकेत करता है।

"मन मस्त हुआ फिर क्या बोले": जब मन परम आनंद में डूब जाता है, तो शब्दों की आवश्यकता नहीं रहती। यह मौन की महिमा को दर्शाता है।

"हीरा पाया बाँध गठड़िया, बार बार वाको क्यों खोले"
जब अनमोल रत्न (आध्यात्मिक ज्ञान) मिल गया है, तो उसे बार-बार परखने की आवश्यकता नहीं। यह ज्ञान को स्थिर रखने की सलाह देता है।

"हलकी थी जब चढ़ी तराजू, पूरी भरी फिर क्यों तोले"
जब आत्मा अधूरी थी, तब मूल्यांकन की आवश्यकता थी; अब पूर्णता प्राप्त होने पर पुनः तौलने का क्या अर्थ? यह आत्म-संतोष की स्थिति को दर्शाता है।

"सूरत कलालंन भई मतवाली, मदवा पी गयी अनतोल"
आत्मा प्रेमरस में इतनी डूबी है कि वह मदहोश हो गई है, अब किसी और मापदंड की आवश्यकता नहीं। यह दिव्य प्रेम की गहराई को दर्शाता है।

"हंसा पावे मानसरोवर, ताल तलाई में क्या डोले"
जब आत्मा (हंस) मानसरोवर (दिव्य ज्ञान) में स्नान कर चुकी है, तो अब छोटे तालाबों में भटकने का क्या अर्थ? यह उच्च आध्यात्मिक स्थिति की प्राप्ति को दर्शाता है।

"कहे कबीर सुनो भई साधो, साहिब मिल गया तिल ओले"
कबीर कहते हैं, सुनो साधुओं, मुझे परमात्मा की प्राप्ति हो गई है, चाहे वह तिल के समान सूक्ष्म रूप में ही क्यों न हो। यह ईश्वर की अनुभूति की पुष्टि करता है। इस प्रकार, यह पद आत्मा की परमात्मा में विलीनता, दिव्य प्रेम की गहराई, और आत्म-साक्षात्कार की उच्चतम स्थिति को दर्शाता है।
 

इस बूंद पड़ा दरियाव सब कोई जानत है

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Is Boond Pada Dariyaav Sab Koee Jaanat Hai
Samudr Samaana Boond Mein Jaane Birala Koee

Man Mast Hua Phir Kya Bole
Heera Paaya Baandh Gathadiya
Baar Baar Vaako Kyon Khole

Halakee Thee Jab Chadhee Taraajoo
Pooree Bharee Phir Kyon Tole

Soorat Kalaalann Bhee Matavaalee
Madava Pee Gayee Anatol

Hansa Paave Maanasarovar
Taal Talaee Mein Kya Dole

Kahe Kabeer Suno Bhee Saadho
Saahib Mil Gaya Til Ole 
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