लांगुरिया धोखेबाज़ रेल मे लुट गई रे लांगुरिया
लूट गई रे लांगुरिया में तो लूट गई रे लांगुरिया
लांगुरिया धोखेबाज़ रेल मे लुट गई रे लांगुरिया
मेरे माथे का टीका उलझ गयो लांगुरिया
झुमकी पे मारो हाथ रेल में लूट गई रे लांगुरिया
लांगुरिया धोखेबाज़ रेल मे लुट गई रे लांगुरिया
मेरे हाथों का कंगन उलझ गयो लांगुरिया
मुदरी पे मारो हाथ रेल में लूट गई रे लांगुरिया
लांगुरिया धोखेबाज़ रेल मे लुट गई रे लांगुरिया
मेरे कमर की तगड़ी उलझ गई लांगुरिया
गुठी पे मारो हाथ रेल में लूट गई रे लांगुरिया
लांगुरिया धोखेबाज़ रेल मे लुट गई रे लांगुरिया
मेरे पैरों की पायल उलझ गई लांगुरिया
बिछवे पे मारो हाथ रेल में लूट गई रे लांगुरिया
लांगुरिया धोखेबाज़ रेल मे लुट गई रे लांगुरिया
लांगुरिया धोखे बाज़ रेल मे लुट गई रे लांगुरिया
लूट गई रे लांगुरिया में तो लूट गई रे लांगुरिया
लांगुरिया धोखेबाज़ रेल मे लुट गई रे लांगुरिया
Languriya Dhokhe Baaz ll Maa Kaila Maiya Bhajan ll लांगुरिया धोखे बाज़ ll Singer - Harish Magan Saini
Bhajan Name : Languriya Dhokhe Baaz ll लांगुरिया धोखे बाज़ ll
Singer : Harish Magan ( 9810652817 , 9250561068 )
Music : Kuldeep Deepak ( 9999329034 , 9811853085 )
Lyrics : Lok Geet Bhajan
Video By : Jiya Creations ( 9250561068 )
Label : Jiya Hms Music
Category : Mata Bhajan
यह गीत एक नायिका की व्यथा को व्यक्त करता है, जो अपने प्रिय "लांगुरिया" को धोखेबाज कहती है, क्योंकि उसने रेल में उसका दिल लूट लिया। नायिका अपने सजने-संवरने की वस्तुओं—माथे का टीका, झुमकी, कंगन, मुद्रिका, कमर की तगड़ी, और पैरों की पायल—के उलझने का जिक्र करती है, और हर बार कहती है कि लांगुरिया ने उस पर "हाथ मारा" यानी उसका दिल चुरा लिया। यहाँ "लूट गई" और "धोखेबाज" जैसे शब्द प्रेम में ठगे जाने की भावना को मजेदार और नाटकीय ढंग से दर्शाते हैं। गीत में नायिका का प्रेमी शायद उसे छल से जीत लेता है, और वह अपनी भावनाओं को लोक शैली में व्यक्त करती है, जिसमें प्रेम, शिकायत और हल्का गुस्सा मिश्रित है। यह गीत लोक संगीत की चिरपरिचित शैली में प्रेम की चंचलता और छल-कपट के भाव को जीवंत करता है।
लांगुरिया, एक लोकप्रिय लोकगीत शैली है जिसे मुख्य रूप से राजस्थान और उत्तर प्रदेश में देवी देवताओं की भक्ति में गाया जाता है। यह विशेष रूप से कैला देवी के मंदिर में गाए जाने वाले भजनों के लिए प्रसिद्ध है, जहाँ 'लांगुरिया' को भगवान हनुमान का ही एक रूप माना जाता है। भक्तों का मानना है कि लांगुरिया (हनुमान) देवी के रक्षक और सेवक हैं, और वे अपने गीतों में उन्हें संबोधित करते हुए माता से आशीर्वाद पाने की प्रार्थना करते हैं। इन गीतों में भक्ति के साथ-साथ विनोद और चंचलता का भी भाव होता है।
