पानी केरा बुदबुदा, अस मानुस की जात देखत ही छिप जाएगा ज्यो तारा प्रभात माया तजी तो क्या भया मान तजा ना जाय मान बड़े ऋषि मुनि गले मान सबन को खाय
मति कर मान गुमान केशरिया रो रंग उडी जाय लो गुलाबी हो रंग उडी जायलो यो संसार कागज केरी पुडिया बूंद पड़े गल जाय
बूंद पड़े न गल जाय केशरिया रो रंग उडी जाय लो गुलाबी हो रंग उडी जायलो मति कर मान गुमान केशरिया रो रंग उडी जाय लो गुलाबी हो रंग उडी जायलो
यो संसार झाड और झंकर आग लगे जल जाय केशरिया रो रंग उडी जाय लो गुलाबी हो रंग उडी जायलो मति कर मान गुमान केशरिया रो रंग, उडी जाय लो गुलाबी हो रंग उडी जायलो
यो संसार बोर वाली झाडी
Kabir Bhajan Lyrics in Hindi,Prahlad Singh Tipaniya Bhajan Lyrics in Hindi
या में उलज पुलझ मर जाय केशरिया रो रंग उडी जाय लो गुलाबी हो रंग उडी जायलो मति कर मान गुमान केशरिया रो रंग उडी जाय लो गुलाबी हो रंग उडी जायलो
यो संसार हाट वालो मेलो मेलो रे मेलो सौदा करे न घर जाय मूरख मूल गवाय केशरिया रो रंग उडी जाय लो गुलाबी हो रंग उडी जायलो मति कर मान गुमान केशरिया रो रंग उडी जाय लो गुलाबी हो रंग उडी जायलो
यो संसार कांच वाली चूडिया रे काल वाली चूडिया लागे दकोरो झड जाय केशरिया रो रंग उडी जाय लो गुलाबी हो रंग उडी जायलो मति कर मान गुमान केशरिया रो रंग उडी जाय लो गुलाबी हो रंग उडी जायलो
कहे हो कबीर सुने हो साधो थारी करनी को साथी कोई नाय केशरिया रो रंग उडी जाय लो गुलाबी हो रंग उडी जायलो
मति कर मान गुमान केशरिया रो रंग उडी जाय लो गुलाबी हो रंग उडी जायलो
Kabir was a 15th-century Indian mystic poet and saint who is revered by both Hindus and Muslims. He is known for his poetry and songs, which contain spiritual themes and teachings.
मतकर मान गुमान गुलाबी रंग उड़ जायेगा - कबीर भजन Mat Kar Maan Gumaan (कबीर भजन) (गायक-मोहनलाल राठोर)
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