वे लै दे मैंनू मखमल दी पख्खी घुंगुरुँआं

वे लै दे मैंनू मखमल दी पख्खी घुंगुरुँआं वाली सोंग

 
वे लै दे मैंनू मखमल दी पख्खी घुंगुरुँआं वाली Ve Le De Menu Makhmal Di Pakkhi Gunghurua Wali Lyrics

वे लै दे मैंनू मखमल दी
पख्खी घुंगुरुँआं वाली
वे लै दे मैंनू मखमल दी
पख्खी घुंगुरुँआं वाली


कीता मुड़के पाणी पाणी
भिज गया मेरा सूट जापानी
पिघले गर्मी नाल जवानी
मखणा नाल जो पाली
वे लै दे मैंनू मखमल दी
पख्खी घुंगुरुँआं वाली

रंग मेरा जिवें अंब सिन्दूरी
कूले हथ्थ जिओं घ्यो दी चूरी
फूँक भरा ए पख्खा खजूरी
तलियां दी जड़ गाली
वे लै दे मैंनू मखमल दी
पख्खी घुंगुरुँआं वाली

रूप मेरे दा जे लैणा नज़ारा
सुण वे पिंड देया लम्बड़दारा
मन्न लै आखा ना ला लारा
कहन्दीऊ हीर सियाली
वे लै दे मैंनू मखमल दी
पख्खी घुंगुरुँआं वाली

बिजली दे पख्खेयाँ लाईयां बहारां
सुखी शहर दियाँ सब मुटियारां
झल्लन पखियाँ पिंड दीआं नारां
आये न बिजली हाली
वे लै दे मैंनू मखमल दी
पख्खी घुंगुरुँआं वाली
 
ਵੇ ਲੈ ਦੇ ਮੈਂਨੂ ਮਖਮਲ ਦੀ
ਪੱਖੀ ਘੁੰਘਰੂਆਂ ਵਾਲੀ
ਵੇ ਲੈ ਦੇ ਮੈਂਨੂ ਮਖਮਲ ਦੀ
ਪੱਖੀ ਘੁੰਘਰੂਆਂ ਵਾਲੀ

ਕੀਤਾ ਮੁੜਕੇ ਪਾਣੀ ਪਾਣੀ
ਭਿੱਜ ਗਿਆ ਮੇਰਾ ਸੂਟ ਜਾਪਾਨੀ
ਪਿਘਲੇ ਗਰਮੀ ਨਾਲ ਜਵਾਨੀ
ਮਖਣਾ ਨਾਲ ਜੋ ਪਾਲੀ
ਵੇ ਲੈ ਦੇ ਮੈਂਨੂ ਮਖਮਲ ਦੀ
ਪੱਖੀ ਘੁੰਘਰੂਆਂ ਵਾਲੀ

ਰੰਗ ਮੇਰਾ ਜਿਵੇਂ ਅੰਬ ਸਿੰਦੂਰੀ
ਕੂਲੇ ਹੱਥ ਜਿਉਂ ਘਿਓ ਦੀ ਚੂੜੀ
ਫੂਕ ਭਰਦਾ ਏ ਪੱਖਾ ਖਜੂਰੀ
ਤਲੀਆਂ ਦੀ ਜੜ ਗਾਲੀ
ਵੇ ਲੈ ਦੇ ਮੈਂਨੂ ਮਖਮਲ ਦੀ
ਪੱਖੀ ਘੁੰਘਰੂਆਂ ਵਾਲੀ

ਰੂਪ ਮੇਰੇ ਦਾ ਜੇ ਲੈਣਾ ਨਜ਼ਾਰਾ
ਸੁਣ ਵੇ ਪਿੰਡ ਦੇ ਆ ਲੰਬਰਦਾਰਾ
ਮੰਨ ਲੈ ਆਖਾ ਨਾ ਲਾ ਲਾਰਾ
ਕਹਿੰਦੀ ਊ ਹੀਰ ਸਿਆਲੀ
ਵੇ ਲੈ ਦੇ ਮੈਂਨੂ ਮਖਮਲ ਦੀ
ਪੱਖੀ ਘੁੰਘਰੂਆਂ ਵਾਲੀ

ਬਿਜਲੀ ਦੇ ਪੱਖਿਆਂ ਲਾਈਆਂ ਬਹਾਰਾਂ
ਸੁਖੀ ਸ਼ਹਿਰ ਦੀਆਂ ਸਭ ਮੁਟਿਆਰਾਂ
ਝੱਲਣ ਪੱਖੀਆਂ ਪਿੰਡ ਦੀਆਂ ਨਾਰਾਂ
ਆਈ ਨਾ ਬਿਜਲੀ ਹਾਲੀ
ਵੇ ਲੈ ਦੇ ਮੈਂਨੂ ਮਖਮਲ ਦੀ
ਪੱਖੀ ਘੁੰਘਰੂਆਂ ਵਾਲੀ 


Parkash Kaur | Ve Laide Mainu Makhmal Di | Audio | Old Punjabi Tunes
 
Ve Lai De Mainnoo Makhamal Dee
Pakhkhee Ghungurunaan Vaalee
Ve Lai De Mainnoo Makhamal Dee
Pakhkhee Ghungurunaan Vaalee

The Audio Song is Ve Laide Mainu Makhmal Di Pakhi Guguruan Wali By Parkash Kaur.

 वे लै दे मैंनू मखमल दी, पख्खी घुंगुरुआं वाली
👉 “मुझे मखमल की बनी, घुंघरू वाली पंखी दिला दो।”
लड़की अपने प्रिय से नखरे भरे अंदाज़ में फरमाइश कर रही है।

कीता मुड़के पानी पानी, भिज गया मेरा सूट जापानी,
पिघले गर्मी नाल जवानी, मखणा नाल जो पाली
👉 “मैं मुड़कर देखते-देखते पानी पानी हो गई (शर्म से), मेरा जापानी सूट भी भीग गया।
गर्मी से जवानी पिघल रही है, जो मैंने अपने मखना (प्रेमी) के साथ पाली है।”
→ यहाँ शरम, सौंदर्य और प्रेम की गर्माहट का playful ज़िक्र है।

रंग मेरा जिवें अंब सिन्दूरी, कूले हथ्थ जिओं घ्यो दी चूरी,
फूँक भरा ए पख्खा खजूरी, तलियां दी जड़ गाली
👉 “मेरा रंग आम जैसा सिंदूरी है, हथेली पर जैसे घी की चूड़ी (चमकती)।
यह खजूर की पंखी हवा दे रही है, और तली में जड़ गालियाँ (मज़ाकिया ताना)।”
→ यहाँ रूप-सौंदर्य और देसी अंदाज़ का बखान है।

रूप मेरे दा जे लैणा नज़ारा, सुण वे पिंड देया लम्बड़दारा,
मन्न लै आखा ना ला लारा, कहन्दीऊ हीर सियाली
👉 “अगर मेरा रूप देखना है, तो सुनो ऐ गाँव के लंबरदार,
मेरी बात मान लो, मुझे धोखा मत देना, मैं हीर सियाल (हीर जैसी प्रेमिका) हूँ।”
→ वह अपने प्रेम की सच्चाई और सुंदरता का दावा करती है।

प्रकाश कौर पंजाबी संगीत जगत की एक प्रसिद्ध और सम्मानित गायिका थीं, जिन्होंने अपने सुमधुर स्वर और लोकभाव से भरे गीतों के माध्यम से पंजाबी संस्कृति को नई पहचान दी। वे विशेष रूप से अपनी बहन सुरिंदर कौर के साथ गाए युगल गीतों के लिए जानी जाती हैं। दोनों बहनों ने मिलकर पंजाबी लोकसंगीत में स्त्री-स्वर को मज़बूती से स्थापित किया। उनके प्रसिद्ध गीतों में "वे लै दे मैंनू मखमल दी पख्खी घुंघरुआं वाली", "काली तेरे अखियां दे ने", "माधणीआं", और "लत्ते दी चादर" जैसे गीत शामिल हैं, जो आज भी लोकधुनों में अमर हैं। प्रकाश कौर ने न सिर्फ प्रेम और लोकजीवन के गीत गाए, बल्कि सामाजिक भावनाओं और मानवीय रिश्तों को भी अपने गायन से जीवंत बनाया। उनके योगदान ने पंजाबी लोकसंगीत को घर-घर तक पहुँचाया और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सशक्त सांस्कृतिक धरोहर छोड़ी।

Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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