वृन्दावन जाऊँगी सखी री वृन्दावन जाऊँगी भजन
सखी वृन्दावन जाउंगी
मेरे उठे विरह में पीर
सखी वृन्दावन जाउंगी
मुरली बाजे यमुना तीर
सखी वृन्दावन जाउंगी
छोड़ दिया मेने भोजन पानी
श्याम की याद में
छोड़ दिया मेने भोजन पानी
श्याम की याद में
मेरे नैनन बरसे नीर
सखी वृन्दावन जाउंगी
श्याम सलोनी सूरत पे
दीवानी हो गई
अब कैसे धारू धीर सखी
सखी वृन्दावन जाउंगी
इस दुनिया के रिश्ते नाते
सब ही तोड़ दिए
तुझे कैसे दिखाऊं दिल चिर
सखी वृन्दावन जाउंगी
नैन लड़े मेरे गिरधारी से
बावरी हो गई
दुनिया से हो गई अंजानी
सखी वृन्दावन जाउंगी
मेरे उठे विरह में पीर,
सखी वृन्दावन जाउंगी
मुरली बाजे यमुना तीर
सखी वृन्दावन जाउंगी
Vrindavan Jaungi Sakhi Ri Vrandavan Jaungi
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यह एक भजन है जो कृष्ण की प्रेमिका राधा की विरह की भावनाओं को व्यक्त करता है। भजन की शुरुआत में, राधा कहती है कि वह वृंदावन जाएगी, जहां कृष्ण रहते हैं। वह कहती है कि वह अपने विरह के दर्द से इतनी परेशान हो गई है कि वह वृंदावन छोड़कर कृष्ण के पास नहीं रह सकती।