अमिया झरे ओ साधु अमिया झरे भजन

अमिया झरे ओ साधु अमिया झरे भजन

यह भजन मालवा अंचल में गाया जाने वाला लोकप्रिय कबीर भजन है। मुझे मालवा भाषा के क्षेत्रीय शब्दों की पूरी जानकारी नहीं है, इसलिए आपसे निवेदन है की यदि आप इस विषय में जानकारी रखते हों तो इस लेख में सुधार के लिए त्रुटि को कमेंट बॉक्स में चिन्हित करे। सत श्री कबीर साहेब।
 
अमिया झरे ओ साधु अमिया झरे लिरिक्स Amiya Jhare O Sadhu Amiya Jhare Lyrics

राम रसायन प्रेम रस, अमृत शब्द अपार,
गाहक बिना नहीं निकसे और माणिक कनक कुठार
तन संदूक मन रतन है, चुपके दे हट ताल
गाहक बिना ना खोलिये ये पूंजी शब्द रसाल

अमिया झरे ओ साधु अमिया झरे,
हे ईण भवर घुपा के माहि अमिया झरे,
अमिया झरे ओ साधु अमिया झरे,
हे ईण भवर घुपा के माहि अमिया झरे,

हाँ, गगन मंडल बीचे सन्मुख कुवे ला
एजी सत नाम की झर हो झरे
हाँ, सत नाम की झर हो झरे
हे ईण भवर घुपा के माहि अमिया झरे,
अमिया झरे ओ साधु अमिया झरे,
हे ईण भवर घुपा के माहि अमिया झरे,

हां, अखंड ब्रह्मंड में वा लग रही तारी
हां, अखंड ब्रह्मंड में वा लग रही तारी
दसम द्वारे जाएने खबर परे
दसम द्वारे जाएने खबर परे
हे ईण भवर घुपा के माहि अमिया झरे,
अमिया झरे ओ साधु अमिया झरे,
हे ईण भवर घुपा के माहि अमिया झरे,

हाँ, त्रिकुटी महल में बाज रहा बाजा
हाँ, त्रिकुटी महल में बाज रहा बाजा
एजी भाई सुखमन नार वा बोहर करे,

हे ईण भवर घुपा के माहि अमिया झरे,
अमिया झरे ओ साधु अमिया झरे,
हे ईण भवर घुपा के माहि अमिया झरे,

हां, कहे हो कबीर सुने हो साधो
हां, कहे हो कबीर सुने हो साधो
हे अमिया पिए यो नर काई को मरे

हे ईण भवर घुपा के माहि अमिया झरे,
अमिया झरे ओ साधु अमिया झरे,
हे ईण भवर घुपा के माहि अमिया झरे,
 

Next Post Previous Post