घणो रिझायो हो दीवानी प्रहलाद सिंह टिपानिया

घणो रिझायो हो दीवानी Ghano Rijhayo Ho Diwani Prahlaad Singh Tipaniya

 
घणो रिझायो हो दीवानी लिरिक्स Ghano Rijhayo Ho Diwani

एजी मैं पिया की प्यारणी,
और अपना करले री,
अरे कलह कल्पना मैट के,
और चरणों चित्त दे री।
अरे बहुत दिनों की जोहती,
और राम तुम्हारी बाट,
जी तरसे तू मिलन को,
और मन नाहीं विश्राम।

भजन
अरे यो बर पायो री दिवानी,
बावरी ने यो बर पायो री,
अरे यो बर पायो वो लाड़ली ने,
यो बर पायो री,
म्हारी सूरत सुहागन नवल बणी,
सायब बर पायो री,
म्हारी सूरत सुहागन नवल बणी,
सायब बर पायो री।

भटकत भटकत सब जग भटक्या,
आज को अवसर आयो, म्हारी हेली,
अरे अबके अवसर आयो, वो हेली,
अरे अब का अवसर चूक जाओगा,
हाँ, अब का अवसर चूक जाओगा।
नहीं ठीकाणा पाया रे बनड़ा ने,
घणों रिझायो रे,
घणों रिझायो रे लाडली ने घणों रिझायो री,
अरे यो बर पायो री दिवानी,
बावरी ने यो बर पायो री,
अरे यो बर पायो वो लाड़ली ने,
यो बर पायो री
म्हारी सूरत सुहागन नवल बणी,
सायब बर पायो री।

अरे राम नाम का लगन लिखाया ने,
सतगुरु ब्याह रचाया हेली दिन,
गुरु ब्यावर रचायो वो हेली।
साईं शबद लइ सामे मिलज्ञ्या,
यो तोरण बिंद जढ़ायो,
बनड़ा ने घणों रिझायो रे।

घणों रिझायो रे लाडली ने,
घणों रिझायो री,
अरे यो बर पायो री दिवानी,
बावरी ने यो बर पायो री

प्रेम की पीठी सूरत की हल्दी,
नाम को तेल चढ़ायो वो हेली,
नाम को तेल चढ़ायो वो हेली,
पांच सखी मिल मंगल गावे,
यो मोतिया मंडप छायो वो
बनड़ा ने घणों रिझायो रे,
लाडली ने घणों रिझायो री

घणों रिझायो रे लाडली ने,
घणों रिझायो री,
अरे यो बर पायो री दिवानी,
बावरी ने यो बर पायो री,
म्हारी सूरत सुहागन नवल बणी,
सायब बर पायो री।

सत्य नाम की चंवरी रचाई,
पडलो प्रेम सवायो वो हेली,
अविनाशी का जोड़ियां हतेला,
ब्रह्मा लगन लगायो वो,
बनडा ने घणो रीझायो री,
रिझायो रे लाडली ने,
घणों रिझायो री,
अरे यो बर पायो री दिवानी,
बावरी ने यो बर पायो री,
म्हारी सूरत सुहागन नवल बणी,
सायब बर पायो री।

रंग महल में सेज पिया की ओढ़े,
सूरत सवायो वो हेली,
हां ओढ़े सूरत सवयो वो हेली,
अरे अब म्हारी प्रीत पिया संग लागी,
ए सब संतन मिल पायो,
बनड़ा ने घणों रिझायो री,
घणों रिझायो री,
अरे यो बर पायो री दिवानी,
बावरी ने यो बर पायो री,
म्हारी सूरत सुहागन नवल बणी,
सायब बर पायो री।

चौरासी का फेरा फिर कर,
बिंद परण घर आयो वो हेली,
हां परण बिंद घर आयो वो हेली,
हां कहे कबीर सुनो भाई साधो,
यो हंस बधावो गायों वो बनड़ा ने,
घणो रे आयो रे,
घणों रिझायो री,
अरे यो बर पायो री दिवानी,
बावरी ने यो बर पायो री,
म्हारी सूरत सुहागन नवल बणी,
सायब बर पायो री।

भजन श्रेणी : कबीर भजन

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घणो रिझायो हो दीवानी || Ghano Rijhayo || Kabir Bhajan

Eji Main Piya Ki Pyaarani,
Aur Apana Karale Ri,
Are Kalah Kalpana Mait Ke,
Aur Charanon Chitt De Ri.
Are Bahut Dinon Ki Johati,
Aur Raam Tumhaari Baat,
Ji Tarase Tu Milan Ko,
Aur Man Naahin Vishraam.
 
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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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