अपने को जाना चहे कहे जो ऐसी बोल मीनिंग

अपने को जाना चहे कहे जो ऐसी बोल मीनिंग

अपने को जाना चहे, कहे जो ऐसी बोल। 
कहहि कबीर सो जियरा, भया सो डामाडोल।।
 
अपने को जाना चहे कहे जो ऐसी बोल हिंदी मीनिंग
 
Apane Ko Jaana Chahe, Kahe Jo Aisee Bol.
Kahahi Kabeer So Jiyara, Bhaya So Daamaadol.

अपने को जाना चहे कहे जो ऐसी बोल शब्दार्थ

अपने को : स्वंय को, Self Discovery
जाना : जानना, पहचानना, Identify Self
चहे : चाहना, Desire/Wish longing
कहहि : कहते हैं, Tells
जियरा : जीव, मनुष्य Living Creatures
भया : हो गया है,
डामाडोल: किंकर्तव्यविमूढ़, निर्णय नहीं ले पाना, Bewildered

अपने को जाना चहे कहे जो ऐसी बोल हिंदी मीनिंग

इस दोहे हिंदी मीनिंग : इस दोहे का मूल भाव समझने से पहले गौर करें की एक स्थान पर कबीर साहब ने कहा है की जिसने स्वंय को जान लिया है वह गूंगे के समान हो जाता है /किसी को कुछ बताने की अवस्था में नहीं रहता है। सही मायनों में उसे बोलने और समझाने की आवश्यकता ही नहीं रहती है. इसी क्रम के कबीर साहेब इस दोहे में बताते हैं की जो व्यक्ति बाह्य इन्द्रियों (कान, आँख आदि ) के सहारे स्वंय को जानने की बाते करता है, वस्तुतः वह चकरा गया है, भ्रम का शिकार हो गया है। क्योंकि बाहरी इन्द्रियों के माध्यम से स्वंय को जान पाना संभव नहीं है। स्वंय को जानने के लिए भीतर डुबकी लगानी होती है। बाहर कुछ भी नहीं है जो है अंदर ही है। बाबा बुल्ले शाह ने इस विषय पर कहा है की भाग भाग कर मंदिर मस्जिद में घुसता है, कभी अपने अंदर बढ़ के देखे तो जिसकी खोज है वह अंदर ही है।
पढ़ पढ़ आलम फाज़ल होयां,
कदीं अपने आप नु पढ़याऍ ना
जा जा वडदा मंदर मसीते,
कदी मन अपने विच वडयाऍ ना 

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