कबीर ऐसा यहु संसार है जैसा सैंबल फूल हिंदी मीनिंग कबीर के दोहे

कबीर ऐसा यहु संसार है जैसा सैंबल फूल हिंदी मीनिंग Kabir Aisa Yahu Sansar Meaning Kabir Ke Dohe Ka Hindi Arth/Bhavarth

कबीर ऐसा यहु संसार है, जैसा सैंबल फूल।
दिन दस के व्यौहार में, झूठै रंगि न भूलि॥

Kabir Aisa Yahu Sansar Hai, Jaisa Saimbl Phool,
Din Das Ke Vyohar Me, Jhuthe Rangi Na Bhuli

कबीर ऐसा यहु संसार है जैसा सैंबल फूल हिंदी मीनिंग Kabir Aisa Yahu Sansar Meaning

कबीर के दोहे का हिंदी में अर्थ / भावार्थ Kabir Doha Hindi Meaning

इस दोहे में कबीर साहेब वाणी देते हैं की यह संसार सेमल के फूल की तरह से होते हैं। सेमल का फूल दिखने में तो आकर्षक होता है लेकिन वह क्षणिक नहीं होता है। सेमल के फूल की भाँती ही यह संसार क्षणिक होता है। शीघ्र ही यह समाप्त हो जाने वाला है, व्यक्ति को यहाँ पर एक मुसाफिर की तरह से आता है। आशय है की इस जगत को अपना स्थाई निवास मत समझो और इश्वर की भक्ति करो, यही मुक्ति का द्वार है। इस दोहे में, कबीर दास संसार की क्षणभंगुरता और मोह माया का वर्णन करते हैं। वह कहते हैं कि संसार सेमल के पुष्प की तरह क्षणभंगुर है। संसार में आकर जीव इसके झूठे आकर्षण में फंस जाता है और अपने असली स्वभाव और हरी की भक्ति को भूल जाता हैं।
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें

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