त्रिसणा सींची ना बुझै शब्दार्थ
त्रिसणा : तृषा Lust/Desire माया का एक रूप.
सींची : तृप्त करना, Fulfill पूर्ण करना.
जवासा : एक कांटेदार पौधा जिसकी पत्तियां बरसात में गिर जाती हैं। A Kind of Plant (Medically Used Plant 'Jawasa')
रूंख : पौधा (अक्षरश -सूखा पेड़) Plant
घणां मेहा : अधिक बरसात, Excess Rain
कुमिलाइ : मुरझा जाना, Wither
त्रिसणा सींची ना बुझै हिंदी मीनिंग
इस दोहे का हिंदी भावार्थ : तृष्णा, आशा और कामना ये सभी माया के ही रूप हैं जो व्यक्ति को अपने जाल में फाँस लेते हैं। इनको तृप्त करने / पूरा करने पर ये और अधिक बढ़ जाती हैं। व्यक्ति सोचता है की इच्छाओं की पूर्ति करने के उपरान्त उसे संतुष्टि मिलेगी परन्तु ऐसा नहीं है, यह पूर्ति के उपरान्त अधिक गति से बढती ही चली जाती हैं और व्यक्ति इनको पूर्ण करने में लगा रहता है। उदाहरण स्वरुप जैसे जवासे का पौधा अधिक बरसात होने पर कुछ समय के लिए मुरझा जाता है, समाप्त नहीं होता है और फिर से हरा होने लग जाता है, इसी प्रकार से तृष्णा की पूर्ति हो जाने पर वह समाप्त होने के बजाय बढ़ने लगती हैं।
भाव है की तृष्णा और आशा, कामना का ऐसा जाल है जिससे व्यक्ति को दूर रहना चाहिए और सावधान भी क्यों की इनकी पूर्ति संभव नहीं है। आशा और तृष्णा जो माया का ही रूप होते हैं, इनको सींचने/पूर्ण करने के उपरान्त ये अधिक बढ़ते ही चले जाते हैं. जीवन यापन करने के लिए जो जरुरी है उसे तो समझा जा सकता है लेकिन अहम को शांत करने के लिए अधिक से और अधिक जुटाना ही तृष्णा है. यह जीवन माया के संग्रह के लिए नहीं अपितु हरी सुमिरन के लिए मिला है. हरी का सुमिरन भी सांकेतिक या भौतिक रूप से दिखावटी नहीं बल्कि सच्चे हृदय से होना चाहिए.
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