हम घर जाल्या आपणाँ लिया मुराड़ा हाथि

हम घर जाल्या आपणाँ लिया मुराड़ा हाथि मीनिंग

कबीर दोहे भावार्थ हिंदी में
हम घर जाल्या आपणाँ लिया मुराड़ा हाथि।
अब घर जालौं तास का, जे चलै हमारे साथि॥
 
Ham Ghar Jaalya Aapanaan Liya Muraada Haathi.
Ab Ghar Jaalaun Taas Ka, Je Chalai Hamaare Saathi. 
 
कबीर दोहे

दोहे के शब्दार्थ Word Meaning of Kabir Doha

जाल्या - जलाया
आपणाँ - अपना
मुराड़ा - जलती हुई लकड़ी , ज्ञान
हाथि-हाथ (अपने हाथों से अपना घर जलाया है )
जालौं - जलाऊं
तास का - उसका
 
इस दोहे का हिंदी मीनिंग: कबीर साहेब की वाणी है की उन्होंने अपने अंधकार रूपी घर/विषय विकार और अहम् रूपी घर / संसारिकता के मोह माया के घर को अपने हाथों से ज्ञान की लकड़ी (मुराड़ा ) से जला दिया है। अब जो भी मेरे साथ चलना चाहे में उसका भी घर (विषय वासना, मोह माया का घर ) जला दूंगा। 
 
भाव है की ईश्वर की साधना में जो सबसे बड़े बाधक हैं -विषय विकार, मोह माया, इन्हे जब तक समाप्त नहीं किया जाता है, तब तक कोई भी ईश्वर की पहचान नहीं कर सकता है। यह सद्गुरु ही  होता है जो इनको ज्ञान की अग्नि से समाप्त कर देता है। जिसे भी ज्ञान की प्राप्ति करनी है उसे इनके घर को जलाना ही होगा।

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