कबीर पशु पैसा ना गहै ना पहिरे पैजार हिंदी मीनिंग
कबीर पशु पैसा ना गहै ना पहिरे पैजार।
ना कछु राखै सुबह को, मिलय ना सिरजनहार।।
Kabeer Pashu Paisa Na Gahai Na Pahire Paijaar.
Na Kachhu Raakhai Subah Ko, Milay Na Sirajanahaar.
Kabir Pasu Paisa Na Gahe Hindi Meaning Kabir Ke Dohe Hindi Meaning
पैसा ना गहे : धन संपदा इकठ्ठा नहीं करते हैं। पहिरे पैजार : पावों में जूते। ना कछु राखै सुबह को : कल के लिए कुछ भी बचाकर नहीं रखते हैं। मिलय ना सिरजनहार : ईश्वर की प्राप्ति नहीं हो पाती है। दोहे की व्याख्या : त्याग करना ईश्वर की प्राप्ति को कोई मान्य तरीका नहीं है। कई लोग अपना घर / परिवार का त्याग कर देते हैं, समाज का त्याग करके जंगलों में / एकांत में रहते हैं और सोचते हैं की ईश्वर की प्राप्ति हो जाएगी, जबकि कबीर साहेब के अनुसार ऐसा नहीं है। निश्छल हृदय, नेक और सत्य की राह का अनुसरण करके कोई भी ईश्वर की प्राप्ति कहीं भी कर सकता है, इसके लिए किसी विशेष जतन की कोई आवश्यकता नहीं है। लोग स्वंय के अंदर नहीं झांकते हैं और बाह्याचार और आडंबरों के माध्यम से ईश्वर को खोजते हैं जो की संभव नहीं है।
किसी क्रम में कबीर साहेब उदाहरण देकर बताते हैं की पशु के पास कुछ भी भविष्य के लिए संग्रह नहीं होता है, ना ही वो पावों में जुटे पहनता है (भाव है की वह भी फक्क्ड़ होता है ) लेकिन क्या ऐसा करने मात्र से ही उसे ईश्वर की प्राप्ति हो पाती है ? नहीं। ईश्वर प्राप्ति के लिए किसी भी वस्तु का त्याग करने की आवश्यकता नहीं है। घर समाज में सहज जीवन के उपरान्त भी ईश्वर की प्राप्ति सम्भव है।
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