पतंजलि अश्वशिला कैप्सूल के फायदे Patanjali Ashvashila Capsule Benefits Price Doses Hindi

पतंजलि अश्वशिला कैप्सूल क्या है what Is Patanjali Ashvashila Capsule?

पतंजलि अश्वशिला कैप्सूल एक आयुर्वेदिक ओषधि है जिसके अत्यंत ही सकारात्मक परिणाम प्राप्त होते हैं। इसी रोग के उपचार के दीगर मसले / शरीर के ओवर आल हेल्थ के लिए भी शिलाजीत अत्यंत ही लाभकारी दवा है जो रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास करके हमें रोगों से लड़ने की शक्ति देता है। बात भले ही बढ़ती उम्र के प्रभावों की हो या किसी रोग विशेष की हो इसके सकारात्मक परिणाम प्राप्त होते हैं। वर्तमान में इसे हेल्थ सप्पलीमेंट के रूप में भी उपयोग में लिया जाता है जो शारीरिक कमजोरी को दूर करता है।

पतंजलि दिव्य अश्वशिला कैप्सूल पुरुषों के लिए शक्तिवर्धक हर्बल कैप्सूल हैं जो विभिन्न जड़ी बूटियों से तैयार किया जाते हैं। पतंजलि अश्वशिला कैप्सूल पुरुषों की यौन कमजोरी को दूर करता है और थकान, तनाव और अन्य शारीरिक कमजोरी में भी लाभदाई होता है। इस लेख में हम जानेंगे की पतंजलि दिव्य अश्वशिला कैप्सूल के घटक क्या हैं, इस कैप्सूल के फायदे और नुकसान क्या होते हैं।
 
 
पतंजलि अश्वशिला कैप्सूल के फायदे Patanjali Ashvashila Capsule Benefits Price Doses Hindi
 

पतंजलि अश्वशिला कैप्सूल के फायदे Patanjali Ashvashila Capsule Ke Fayade Hindi Benefits of Patanjali Ashwashila Capsule Hindi

पतंजलि अश्वशिला कैप्सूल के निम्न लाभ होते हैं। (Patanjali Ashvshila Capsule Benefits )
  • पतंजलि अश्वशिला कैप्सूल में शिलाजीत होता है इसलिए यह मस्तिष्क विकारों में अत्यंत ही लाभकारी होती है।  इक विशेष प्रकार के रोग Alzheimer’s disease में भी इसके सकारात्मक परिणाम प्राप्त होते हैं। शिलाजीत में विशेष रूप से fulvic acid होता है जो की ब्रेन से सबंधित विकारों में उपयोगी होता है। शिलाजीत से मस्तिष्क का विकास भी होता है और स्मरण शक्ति और एकाग्रता में इजाफा होता है।  शिलाजीत में मौजूद फुलविक एसिड ताऊ प्रोटीन (Tau protein) की असामान्य बढ़ोत्तरी पर रोक लगाता है जिससे अल्जाइमर के लक्षणों को कम करता है। 
  • अश्वगंधा और शिलाजीत दोनों ही 'Low testosterone level' को संतुलित करने में सहायक होते हैं। मर्दाना कमजोरी को दूर करने के लिए आयुर्वेदा में इसे उत्तम ओषधि माना जाता रहा है। इसके सेवन से ना केवल शारीरिक कमजोरी दूर होते है बल्कि मरदाना कमजोरी में भी सुधार होता है। इसके साथ ही शिलाजीत Infertility को भी दूर करता है। अश्वगंधा और शिलाजीत दोनों ही यौन शक्ति में बढ़ोत्तरी करते हैं। अश्वगंधा फर्टिलिटी के विकास और सीमन क्वालिटी के सुधार में भी सहायक होता है। 
  • इस ओषधि के सेवन से शारीरिक कमजोरी दूर होती है,  यथा कार्य करने में रूचि का अभाव, चिड़चिड़ापन आदि। 
  • शिलाजीत में fulvic acid होता है जो की रोग प्रतिरोधक क्षमता के विकास के साथ ही बढ़ती उम्र के प्रभावों को कम करने में सहायक होता है। जैसे की याद दास्त में कमी, बालों का झड़ना आदि। इसके सेवन से सम्पूर्ण शरीर में ताकत बढ़ती है और एजिंग प्रोसेस के प्रभाव नियंत्रित होते हैं। 
  • शिलाजीत में आवश्यक ह्यूमिक एसिड और आयरन होता है जिससे शरीर में आयरन की कमी दूर होती है। आयरन की कमी से चिड़चिड़ापन, सरदर्द, हाथ पावों का ठंडा पड़ना, कमजोरी जैसे लक्षण हो सकते हैं। एनीमिया रोग में भी शिलाजीत उपयोगी होता है। 
  • इस दवा के सेवन से आपका दिल स्वस्थ रहता है, लेकिन विशेष दिल सबंधी रोगों में  इसका सेवन नहीं किया जाना चाहिए। शिलाजीत सामान्य रक्तचाप को बनाये रखने में मदद करता है। शिलाजीत रक्त में शर्करा (glucose) के स्तर को नियंत्रण में रखता है और शुगर रोग में भी लाभदायी होता है। 
  • पतंजलि अश्वशिला कैप्सूल के सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है। 
  • इसके अंदर प्राकृतिक रूप से ऐसे तत्व होते हैं जो फ्री रेडिकल्स को शरीर से बाहर निकालने में हमारी मदद करते हैं। 
  • इस दवा के  सेवन से हड्डियां मजबूत बनती हैं क्यों की शिलाजीत में प्राकृतिक रूप से कैल्शियम होता है। कैल्शियम की कमी होने पर मिनरल्स / विटामिन्स सही से काम नहीं कर पाते हैं। 
  • इसके सेवन से स्मरण शक्ति का विकास होता है। 
  • स्नायु जनित विकारों में इसका सेवन लाभकारी होता है। 
  • शरीर से विषाक्त प्रदार्थों को बाहर निकालने में इस दवा से मदद  मिलती है और रक्त साफ़ करती है। 
  • अस्थमा जैसे रोगों में इसके सेवन से लाभ मिलता है। 
  • गठिया  रोग और शरीर में सूजन को कम करने में लाभदायी। 
  • शरीर में घाव भरने की क्षमता का विकास करता है। 
  • मूत्र विकारों के लिए शिलाजीत अत्यंत ही लाभकारी होती है। यह मूत्र मार्ग की सूजन, जलन और पथरी में लाभदायी होती है। 
  • इस दवा में अश्वगंधा का उपयोग किया गया है जो की शिलाजीत के साथ मिलकर और भी अधिक उपयोगी और लाभकारी बन जाती है। नवीनतम शोध के अनुसार अश्वगंधा कैंसर सेल्स को पनपने नहीं देता है और रिएक्टिव ऑक्सीजन स्पीशीज का निर्माण करता है जो कैंसर सेल्स की रोकथाम करने में सहायक होते हैं। 
  • शिलाजीत की भाँती ही अश्वगंधा भी शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास करता है। अश्वगंधा वाइट ब्लड सेल्स और रेड ब्लड सेल्स दोनों को बढ़ाने का काम करता है।  
  • अश्वगंधा और शिलाजीत दोनों ही मानसिक तनाव (डिप्रेशन) जैसे विकारों की रोकथाम में सहायक होते है। पतंजलि अश्वशिला के उपयोग से आपको बेहतर नींद आती यही और तनाव से छुटकारा मिलता है।
  • महिलाओं के सफ़ेद पानी रोग में भी अश्वगंधा का उपयोग लाभकारी होता है। सफ़ेद पानी के कारन आयी शारीरक कमजोरी इससे दूर होती है। 
  • ऐंटी-ऑक्सिडेंट्स और ऐंटी-बैक्टीरियल प्रॉपर्टीज होती हैं जो की शिलाजीत की भांति ही रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास करने में सहायक होती हैं।
  • शिलाजीत की भांति ही अश्वगंधा भी तनाव को दूर करता है और बेहतर नींद में सहायक होता है। अश्वगंधा में ट्राइथिलीन ग्लाइकोल नामक यौगिक होता है जो तनाव कम करके बेहतर नींद के लिए जिम्मेदार होता है। 
  • अश्वगंधा में एंटी ट्यूमर गुण होते हैं। 
  • अश्वगधा के उपयोग से मधुमेह में भी लाभ मिलता है। 
  • ओर्थोरिटीज जैसे रोगों में भी अश्वगंधा का उपयोग लाभकारी माना गया है। एक शोध के अनुसार अश्वगंधा जोड़ों के दर्द को कम करता है। 
  • अश्वगंधा के उपयोग से मानसिक तनाव में सुधार होता है, बेहतर नींद आती है और स्मरण शक्ति में सुधार होता है। 
  • अश्वगंधा के सेवन से मांसपेशियां मजबूत बनती है और शारीरिक क्रियाओं में सुधार होता है। इसके सेवन से मांसपेशियों की जकड़न, टीस चलना और शारीरिक कमजोरी दूर होती है। 
  • शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास करने के साथ ही संक्रमण से लड़ने में सहायक होता है। 
  • अश्वगंधा का सेवन हमारे हृदय के लिए भी बहुत लाभदायी होता है। बहुत से हृदय विकारों में अश्वगंधा उपयोगी होता है। 
  • अश्वगंधा शिलाजीत की भांति ही एंटी एजिंग होता है। यह बढ़ती उम्र के प्रभावों की रोकथाम करने में सहायक होता है। 
  • जॉइंट पेन, मांशपेशियों में जकड़न, घुटनों में दर्द आदि के लिए अश्वशिला कैप्सूल बहुत ही लाभकारी होता है।

फर्टिलिटी बढ़ाने में सहायक Helpful in increasing fertility

अश्वशिला कैप्सूल में उपयोग में लिए गए विभिन्न आयुर्वेदिक घटक पुरुषों की प्रजनन क्षमता को बढ़ाने में सहायक होते हैं और सीमन में सुधार कर शुक्राणु की गुणवत्ता और मात्रा बढ़ाने में सहायक होता है। अश्वशिला कैप्सूल पुरुषों की वीर्य उत्पन्न होने को बढ़ाकर यौन शक्ति में वृद्धि करता है।

जल्दी संख्लन और वीर्य के स्वतः ही निकल की रोकथाम में सहायक

पतंजलि अश्वशिला कैप्सूल में प्राकृतिक घटक होते हैं जो वीर्य के स्वतः निकलने / लीकेज (रिसाव) को रोकते हैं और वीर्य संख्लन का समय बढ़ाते हैं। पतंजलि अश्वशिला कैप्सूल अश्वगंधा और शिलाजीत का एक मिश्रण है जो इसे यौन कमजोरी, थकान, तनाव, सामान्य कमजोरी, अस्थमा, एलर्जी, मधुमेह, मूत्र संबंधी विकार में लाभकारी होता है।

यौन कमजोरी को दूर करने में सहायक

पतंजलि दिव्य अश्वशिला कैप्सूल पुरुषों के यौन कमजोरी को दूर करने में सहायक है। इसके सेवन से पुरुषों को यौन विकारों यथा शीघ्रपतन, वीर्य का कमजोर होना आदि में लाभकारी है। 
 

रोग प्रतिरोधक क्षमता के विकास में सहायक

इसमें शिलाजीत घटक के रूप में होता है जो शरीर को रोगों से लड़ने की शक्ति देता है और सामान्य कमजोरी, थकान आदि में लाभकारी होता है।  

जोड़ों के दर्द में लाभकारी है पतंजलि अश्वशिला कैप्सूल

अश्वशिला कैप्सूल में अश्वगंधा घटक के रूप में होता है जिससे वातजनित विकारों की रोकथाम में सहायता प्राप्त होती है। घुटनों के दर्द, हड्डियों के जोड़ों के दर्द में यह कैप्सूल लाभकारी होता है। 

पतंजलि अश्वशिला के घटक Coposition of Patanjali Ashvashila Capsule in Hindi

(Composition of Ashvshila Capsule ): पतंजलि अश्वशिला के घटक शिलाजीत और अश्वगंधा होते हैं, जिनका संक्षिप्त परिचय निम्न प्रकार से हैं।

शिलाजीत

(Shilajeet) शिलाजीत चट्टानों से निकलने वाला एक चिपचिपा, गाढ़ा, सफ़ेद / भूरे रंग का प्रदार्थ होता है। प्रधान रूप से इसका रंग गहरा भूरा होता है तथा प्राथमिक रूप से देखने में यह काले रंग का, तारकोल के समान प्रतीत होता है जो सूखने के बाद हलके रंग का और चमकीला हो जाता है। शुद्ध शिलाजीत जल में विलेय होता है। शिलाजीत को संस्कृत में शिलाजतु, गिरिज, शैलनिर्यास, अश्मज. हिंदी में शिलाजीत फ़ारसी में मोमिआइ अंग्रेजी में ब्लाक बिटुमिन, मिनरल पिच आदि नामों से जाना जाता है।

शिलाजीत के बनने की प्रक्रिया को जाने तो जब सूरज की तीखी किरणे चट्टानों पर पड़ती है तो उनमे से एक गाढ़ा द्रव्य रिसता है और यही सूखने के बाद शिलाजीत के रूप में पहचाना जाता है। इसी द्रव्य को 'शलजातु' कहा जाता है। यह शिलाओं पर पैदा होता है इसलिए ही इसे शिलाजीत कहा जाता है। वस्तुतः शिलाजीत पौधों के द्वारा चट्टानों पर धीमी अपघटन की क्रिया से उत्पन्न होता है। शिलाजीत मृदु, स्निग्ध, स्वच्छ और गुरु होता हैं तथा उसमे कुछ कुछ गौमूत्र के समान गंध आती है। शिलाजीत में आलुबुमिनोइड्स, राल, वसाम्ल, बेंज़ोइक तथा हूपुरिक एसिड होते हैं और इसके अलावा इसमें लगभग ८० से अधिक मिनरल्स होते हैं। शिलाजीत को औषधीय रूप से काम में लेने के लिए इसे प्रोसेस्ड किया जाना आवश्यक है, कच्चे शिलाजीत में भारी धातु आयरन, फ्री रेडिकल्स, कवक और अन्य प्रदूषित तत्व मिले हो सकते हैं जो आपको गंभीर रूप से बीमार कर सकते हैं।

हजारों वर्षों से यूनानी और आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में शिलाजीत का उपयोग विभिन्न दवा बनाने में किया जाता रहा है और इसे बलपुष्टिकारक, ओजवर्द्धक, दौर्बल्यनाशक एवं धातु पौष्टिक माना जाता है। सबसे पहले इसका जिक्र शुश्रुत्र सहिंता में किया गया है और इसे 'रस' की श्रेणी में रखा गया है। आयुर्वेद में शिलाजीत के गुण धर्म में इसे कड़वा, कसैला, उष्ण, वीर्य शोषण तथा छेदन करने वाला माना गया है। इसके मिलान से चन्द्रप्रभा वटी , शिलाजित्वादि लौह और चिंतामणि रस, प्रमेहगज केसरी, आरोग्य वर्द्धिनी वटी, राह्मी वटी आदि ओषधियों के अलावा कई अन्य पेटेंट ओषधियों का निर्माण भी निर्माताओं के द्वारा किया जा रहा है। संस्कृत में शिलाजतु, गिरिज, शैलनिर्यास, अश्मज. हिंदी में शिलाजीत फ़ारसी में मोमिआइ अंग्रेजी में ब्लाक बिटुमिन, मिनरल पिच, उर्दू में سلاجیت‎)., फारसी में مومنایی नामों से जानाजाता है। भारत में प्रधान रूप से शिलाजीत हिमालय के पर्वतों में पाया जाता है। हिन्दुकुश के पहाड़ी इलाकों में यह बहुतायात से पाया जाता है। मई और जून के महीनों में इसे पहाड़ों से निकाला जाता है। शिलाजीत में प्रधान रूप से ज़िंक, टाइटेनियम, सिलिकॉन, सोडियम, मेगनीज, निकल, गुलटामिक एसिड, कॉपर, कैल्शियम आदि खनिज पाए जाते हैं। इसका स्वाद तिक्त और कटु होता है। 
 
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शुद्ध शिलाजीत की पहचान 

(How to Check Pure Shilajeet ): शिलाजीत को आप यदि सीधा ही खरीद रहें हो तो विशेष रूप से ध्यान देने योग्य बात है की यह शुद्ध और प्रोसेस्ड होना चाहिए। यदि इसे शुद्ध ना किया जाय तो इसमें मौजूद हैवी मेटल्स और अशुद्धियाँ गंभीर बिमारियों का कारण बन जाती है। चूँकि शिलाजीत हर जगह पैदा नहीं होता है इसलिए इसकी पहचान कर पाना संभव नहीं होता है और अक्सर हमें मिलावटी शिलाजीत मिलता है। शिलाजीत की पहचान के लिए आप पानी और आग के माध्यम से आसानी से इसकी पहचान कर सकते हैं। पानी के माध्यम से नकली शिलाजीत भी कुछ कुछ असली जैसा प्रतीत होता है, इसलिए बेहतर होगा की अग्नि के माध्यम से आप शिलाजीत की पहचान करें। आप शिलाजीत के एक छोटे से टुकड़े को किसी लम्बे लोहे के तार के छोर पर चिपका कर इसे अग्नि के संपर्क में लाये। जब शुद्ध शिलाजीत अग्नि के सम्पर्क में आएगा तो वह ऊपर की और उठेगा और इसके विपरीत नकली शिलाजीत जलने लग जाएगा और जल कर निचे गिरने लगेगा। बेहतर तो यही होगा की आप किसी प्रतिष्ठित निर्माता का प्रोसेस्ड शिलाजीत खरीदें जिससे नकली की सम्भावना नहीं होगी।

शिलाजीत की तासीर क्या होती है ?

(Shilajeet Taseer) शिलाजीत की तासीर गर्म (होती है।


शिलाजीत की फॉर्म :

(Forms of Shilajeet): शिलाजीत सूखे पाउडर, टुकड़ों में और लीकविड फॉर्म में उपलब्ध होता है।


अश्वगंधा

(What is Ashvagandha ): अश्वगंधा एक ऐसी जड़ी बूटी है जिसका नाम अक्सर हमें सुनाई देता हैं, क्योंकि यह अत्यंत गुणों से भरपूर एक हर्ब होती है जिसका उपयोग अनेकों आयुर्वेदिक दवाओं में किया जाता है, साथ ही ऐसा माना जाता है की यह आयुर्वेद में सबसे प्राचीन समय से उपयोग में ली जा रही जड़ी बूटी है। यह एक पौधा होता है जो द्विबीज पत्रिय होता है। अश्वगंधा वात और कफ का शमन करती है। अश्वगंधा प्रधान रूप से बल्यकारक, रसायन, बाजीकरण ,नाड़ी-बलकारक, दीपन, पुष्टिकारक और धातुवर्धक होता है। प्राचीन समय से ही मस्तिष्क को बलशाली बनाने में इस दवा का उपयोग किया जाता रहा है और यह आयुर्वेद में मानसिक विकार, चिंता, तनाव और उन्माद के लिए उपयोग में आती है। वर्तमान समय में विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों के द्वारा भी अश्वगंधा के कैप्सूल और अन्य उत्पाद तैयार किये जा रहे हैं जो इसके प्रभावों के बारे में और इसके महत्त्व को दर्शाता है। इस हर्ब को राजस्थान में शेखावाटी क्षेत्र में पदलसिंह, पदलसि कहा जाता है और ऐसी मान्यता है की इसमें घोड़े के मूत्र के तुल्य गंध आने के कारन इसे अश्वगंधा कहा जाता है। इस पौधे के जड़े महत्वपूर्ण होती हैं जिन्हे शुक्राणु वर्धन के लिए उपयोग में लिया जाता है। अश्वगंधा के निम्न औषधीय गुण होते हैं। इसे कई अन्य नामो से भी पहचाना जाता है यथा असगन्ध, अश्वगन्धा, पुनीर, नागोरी असगन्ध आदि। इसके पत्ते, जड़, फल और फूल का उपयोग विभिन्न ओषधियों के निर्माण में किया जाता है। अश्वगंधा का मनमानी और बगैर डॉक्टर की सलाह से सेवन स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव भी डाल सकता है। अश्वगंधा का वैज्ञानिक नाम विथानिया सोम्नीफेरा है और इसे विंटर चैरी और इंडियन गिनसेंग के नाम से जाना जाता है। अश्वगंधा उत्तरी भारत में बहुतायात से उगाया जाता है। अश्वगंधा बाजार में पाउडर, कैप्सूल व टैब्लेट आदि रूपों में उपलब्ध है। इसका स्वाद तिक्त और कटु होता है। 
अश्वगंधा की तासीर : इसकी तासीर गर्म (ऊष्ण ) होती है।  (Ashvagandha Taseer/Effects)

अश्वगंधा के फायदे (Benefits of Ashvaghandha ):
  • इसे पुरुषों के लिए ऊर्जा और शुक्राणु वृद्धि के लिए श्रेष्ठ माना गया है। 
  • यह तंत्रिका तंत्र सबंधी विकारों में भी उत्तम परिणाम देती है। 
  • महिलाओं के रोग, यथा स्वेत प्रदर में भी यह एक उत्तम दवा है। 
  • जोड़ों के दर्द और गठिया जैसे रोग जो वात इकठ्ठा होने से होती हैं, अस्वगंधा के उत्तम परिणाम प्राप्त होते हैं। 
  • त्वचा सबंधी विकारों में भी अस्वगंधा का उपयोग किया जाता है। 
  • बालों से सबंधित विकारों में भी अश्वगंधा का उपयोग किया जाता है। 
  • खांसी, गले के रोग, टीवी आदि रोगों में भी इसकी ओषधि का निर्माण किया जाता है। 
  • कब्ज, इन्द्रियों की कमजोरी के लिए भी इस हर्ब से बनी दवा का उपयोग किया जाता है। 
  • शारीरिक कमजोरी और रक्त विकार को भी अश्वगंधा के सेवन से ठीक किया जाता है। 
  • अश्वगंधा के सेेवन से मधुमेह रोग में भी लाभ मिलता है। 
  • अश्वगंधा में  एंटीऑक्सीडेंट, एंटीइंफ्लेमेटरी, एंटी स्ट्रेस व एंटीबैक्टीरियल जैसे तत्व और इम्यून सिस्टम को बेहतर करने व अच्छी नींद लाने वाले गुण होते हैं जो सेहत के लिए किस वरदान जैसा होता है। 

पतंजलि अश्वशिला कैप्सूल कहाँ से खरीदें

वैद्य की सलाह के उपरांत आप पतंजलि अश्वशिला कैप्सूल नजदीकी पतंजलि स्टोर्स या फिर ऑनलाइन भी खरीद सकते हैं। इस दवा को ऑनलाइन खरीदने/इस सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी प्राप्त करने के लिए आप पतंजलि आयुर्वेदा की अधिकृत वेबसाइट पर विजिट करें जिसका लिंक निचे दिया गया है।

पतंजलि अश्वशिला कैप्सूल के विषय में पतंजलि आयुर्वेदा का कथन :

Patanjali Ashvashila Capsule is a combination of Ashwagandha and Shilajit which makes it a powerful remedy in Sexual weakness, fatigue, stress, generalized weakness, asthma, allergy, diabetes, diabetic neuropathy, urinary disorders and loss of immunity.

पतंजलि अश्वशिला कैप्सूल की कीमत

पतंजलि आयुर्वेदा की वेब साइट पर लेख लिखे जाने तक यह २० ग्राम की पेकिंग में उपलब्ध है जिसकी कीमत 63/- रुपये है। आप इस सबंध में अधिकृत वेब साइट का अवलोकन करें।

पतंजलि अश्वशिला कैप्सूल का सेवन कैसे करें

पतंजलि अश्वशिला कैप्सूल के सेवन के सबंध में आप वैद्य से सलाह लेवें। किसी भी व्यक्ति की शरीर की तासीर, उम्र, और रोग की जटिलता के आधार पर इसकी मात्रा / सेवन विधि में बदलाव होता है, इसलिए भले ही ये आयुर्वेदिक ओषधि हो, आप पतंजलि स्टोर्स / चिकित्सालय में उपलब्ध वैद्य की सलाह के उपरान्त इसका सेवन करें।  
 

पतंजलि अश्वशिला कैप्सूल का दुष्प्रभाव Patanjali ashwashila capsule side effects

यह एक प्राकृतिक जड़ी बूटियों से तैयार ओषधि है फिर भी इसके सेवन से पूर्व आपको चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए। कुछ विशेष रोगों से पीड़ित व्यक्तियों को इसके सेवन से समस्याएं हो सकती हैं। 
 

पतंजलि अश्वशिला कैप्सूल का भंडारण :  Storage of Patanjali Ashvashila Capsule Hindi

नमी वाले स्थान से दूर रखें और कमरे के सामान्य तापमान पर इसे रखना चाहिए।

FAQs 
 
What is Shilajeet : 
Shilajit contains fulvic acid and more than 84 minerals, so it has some benefits for your health. It can act as an antibiotic to enhance the immunity and memory of your skin, anti-inflammatory drug, an energy booster and a diuretic in order to remove excess fluid.  
 
Is Shilajit good for erectile dysfunction? : 
Shilajit has been used historically for its rejuvenating and aphrodisiac activity and increases physical power and stamina in men (Sharma & Dash, 2000).
 
Does Shilajit increase sperm count?
Male fertility and testosterone. Shilajit has also been studied to increase male fertility. A study on 60 infertile men, shilajit given twice a day for 90 days. At the end of this period, researchers noted significant increases in the levels of total testosterone.
 
Which brand Shilajit is best?
Many brand available in market, all are good, but in my opinion Patanjali Shilajeet is by far the best products you can ever use.

अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है। यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें। लिरिक्सपण्डितस  इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है।
The author of this blog, Saroj Jangir (Admin), is a distinguished expert in the field of Ayurvedic Granths. She has a diploma in Naturopathy and Yogic Sciences. This blog post, penned by me, shares insights based on ancient Ayurvedic texts such as Charak Samhita, Bhav Prakash Nighantu, and Ras Tantra Sar Samhita. Drawing from an in-depth study and knowledge of these scriptures, Saroj Jangir has presented Ayurvedic Knowledge and lifestyle recommendations in a simple and effective manner. Her aim is to guide readers towards a healthy life and to highlight the significance of natural remedies in Ayurveda.
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3 टिप्पणियां

  1. Is ashvashila uses good for females
  2. Timing ki Kami hai kya maja le Sakta hun
  3. Kiya lig bad sakta he lamba hota