आस पास जोधा खड़े सबै बजावै गाल मीनिंग
आस पास जोधा खड़े, सबै बजावै गाल,
मंझ महल से ले चला, ऐसा परबल काल।
Aas Paas Jodha Khade, Sabai Bajaavai Gaal,
Manjh Mahal Se Le Chala, Aisa Parabal Kaal. आस पास जोधा खड़े सबै बजावै गाल मीनिंग
आस पास जोधा खड़े दोहे का हिंदी भावार्थ : आस पास और निगरानी में बड़े बड़े योद्धाओं के पहरे के बावजूद काल बीच महल से ( राजा को ) अपने साथ ले चला जाता है और सभी गाल बजाते रहते हैं, बड़ी बड़ी बातें बनाते रहते हैं लेकिन कुछ भी करने में असमर्थ रहते हैं। काल ऐसा प्रबल है की वह किसी को भी अपना शिकार बना लेता है। भाव है की मात्र हरी का सुमिरण ही काल से बचा सकता है, अन्यथा काल से बचने का कोई माध्यम नहीं है।
कबीर साहेब के अन्य विचार :
न्हाए धोए क्या भया, जो मन मैला न जाय।
मीन सदा जल में रहे, धोए बास न जाय॥
पवित्र नदियों में शारीरिक मैल धो लेने से कल्याण नहीं होता। इसके लिए भक्ति-साधना से मन का मैल साफ करना पड़ता है। जैसे मछली हमेशा जल में रहती है, लेकिन इतना धुलकर भी उसकी दुर्गंध समाप्त नहीं होती।
निरमल गुरु के नाम सों, निरमल साधु भाय।
कोइला होय न ऊजला, सौ मन साबुन लाय॥ सतगुरु के सत्य-ज्ञान से निर्मल मनवाले लोग भी सत्य ज्ञानी हो जाते हैं, लेकिन कोयले की तरह काले मनवाले लोग मन भर साबुन मलने पर भी उजले नहीं हो सकते-अर्थात् उन पर विवेक-बुद्धि की बातों का असर नहीं पड़ता।
दीपक सुंदर देख करि, जरि-जरि मरे पतंग।
बढ़ी लहर जो विषय की, जरत न मोर अंग॥आपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं