अनहद बाजे नीझर झरै उपजै ब्रह्म गियान हिंदी मीनिंग कबीर के दोहे

अनहद बाजे नीझर झरै उपजै ब्रह्म गियान हिंदी मीनिंग Anhad Baje Nijhar Jhare Upaje Brahm Giyan-Hindi Meaning/Bhavarth कबीर दोहे हिंदी भावार्थ

अनहद बाजे नीझर झरै, उपजै ब्रह्म गियान। ।
अविगति अंतरि प्रगटै, लागै प्रेम धियान।।
Anhad Baje Nijhar Jhare, Upaje Brahm Giyan
Avigati Antari Pragate, Lage Prem Dhiyan
 
अनहद बाजे नीझर झरै उपजै ब्रह्म गियान हिंदी मीनिंग Anhad Baje Nijhar Jhare Upaje Brahm Giyan

 

अनहद बाजे नीझर झरै शब्दार्थ: Word Meaning Anhad Baje Nijhar Jhare

नीझर = निर्झर, झरै - झरता है/गिरता है, अविगति = अज्ञात, अज्ञेय, ब्रह्म ।
दोहे की हिंदी Anhad Baje Nijhar Jhare Hindi Meaning : भक्ति की चरम स्थिति है की अनहद बजने लगता है और ब्रह्म नाद सुनाई देने लगता है। उस झरने से ब्रह्म ज्ञान की उत्पत्ति होने लगती है। पूर्ण ब्रह्म देह के अंदर ही प्रकट होने लगता है और प्रेम (भक्ति ) के भाव से ध्यान उसी में लगने लग जाता है। यह योग की सहजावस्था ही है जहाँ ब्रह्म स्वंय में ही प्रकट हो जाता है। 
धरती फाटै मेघ मिलै, कपड़ा फाटै डोर ।
तन फाटै को औषधि, मन फाटै नहिं ठौर।
यदि धरती में अगर दरारें पड़ जाती है तो बारिश होने पर वे दरारें स्वतः ही मिट जाती हैं और यदि कपड़ा फट जाता है तो सिलाई करने से उसे जोड़ा जा सकता है। यदि तन फाटे, यानी शरीर बीमार पड़ जाता करता है तो दवा से स्वस्थ हो जाता है लेकिन मन फट जाता है तो कोई भी उपाय काम नहीं करता है। मन फटे' से अभिप्राय है की मन का नहीं लगना।
 
माली आवत देखि के, कलियन करे पुकार।
फूली फूली चुन लई, काल हमारी बार।।

काल के विषय में वाणी है की काल एक ना एक दिन सभी को अपना ग्रास बना ही लेगा, जैसे माली के आने पर कलि विचार करती है की आज तो उसने पूर्ण कलियों को चुन लिया है और कल हमारी बारी भी आ ही जाएगी। भाव है की एक रोज  को काल अपने साथ ले जाएगा जहाँ पर जीव की कोई मर्जी नहीं चलती है।
 
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