गगन गरजि अमृत चवै कदली कँवल प्रकास-हिंदी भावार्थ/मीनिंग Gagan Garaji Amrit Chave Kadali Kaval Prakash Meaning Hindi कबीर दोहे हिंदी मीनिंग
गगन गरजि अमृत चवै, कदली कँवल प्रकास।
तहाँ कबीरा बंदिगी, कै कोई निज दास ।।
तहाँ कबीरा बंदिगी, कै कोई निज दास ।।
Gagan Garaji Amrt Chavai, Kadalee Kanval Prakaas.
Tahaan Kabeera Bandigee, Kai Koee Nij Daas.
गगन गरजि अमृत चवै कदली कँवल प्रकास शब्दार्थ: Gagan Garaji Amrit Chave Word Meaning in Hindi
गगन = आकाश सहस्रार शून्य शिखर, कदली - केला, मेरुदण्ड, बंदगी-भक्ति।
गगन गरजि अमृत चवै कदली कँवल प्रकास हिंदी अर्थ/मीनिंग Gagan Garaji Amrit Chave Meaning in Hindi दोहे का हिंदी भावार्थ :
ईश्वर की भक्ति की चरम स्थिति में गगन से अमृत टपकने लगता है और निर्बाध शक्ति का संचार होता है। यह शक्ति जाग्रत कुण्डलिन की माध्यम से आती है। ऐसी अवस्था में ही कोई भक्ति करने के स्थिति में होता है। जब कुण्डलिनी शक्ति जाग्रत हो जाती है तब शुषुम्णा नाड़ी (कदली ) के सहस्त्रार से अमृत की बुँदे टपकने लगती हैं। यह बुँदे उस असीम प्रकाश का ही रूप होती हैं। कबीर (कोई भी साधक ) ऐसी अवस्था को पाकर ही उस परमशक्ति को प्राप्त होने की ओर अग्रसर होता है।दीन गरीबी बंदगी, साधुन सों आधीन ।
ताके संग मैं यौ रहूं, ज्यौं पानी संग मीन ।।
जिस साधक में सहनशीलता, सेवा भाव, प्रेमभाव तथा साधु के साथ रहने का भाव होता है उसके संग ऐसे रहना चाहिए जैसे पानी के साथ मछली रहती है, अर्थात उसके किसी प्रकार का भेद नहीं होना चाहिए।
दया धर्म का मूल है, पाप मूल संताप।
जहाँ क्षमा वहाँ धर्म है, जहां दया वहां आप।।
- कबीर के दोहे हिंदी में Kabir Ke Dohe Hindi Me Kabir Dohe Hindi Meaning
- कबीर के दोहे हिंदी में Kabir Ke Dohe Hindi Me कबीर दोहे हिंदी मीनिंग
- कबीर के दोहे हिंदी में Kabir Ke Dohe Hindi Me कबीर के दोहे हिंदी मीनिंग व्याख्या
- कुमति कीच चेला भरा-कबीर दोहे हिंदी मीनिंग
- संतो देखत जग बौराना कबीर के पद हिंदी में
- बालम आवो हमारे गेह रे- कबीर पद हिंदी मीनिंग
- अरे इन दोहुन राह ना पाई हिंदी मीनिंग
- चलती चक्की देख के दिया कबीरा रोए-कबीर के दोहे हिंदी मीनिंग
- प्रेम प्रेम कोई सब कहे प्रेम ना बुझे कोय हिंदी मीनिंग
दया धर्म की जड़ है और पाप दुखों की जड है और जहा पर क्षमाभाव ही पर धर्म है, जहां दया है. वहां पर ईश्वर का वास है।