चुन चुन माटी महल बनाया, मूरख कहे घर मेरा
नहीं घर मेरा नहीं घर तेरा, है जगत में भेरा
खाक में खप जाना रे बंदा, माटी से मिल जाना
नहीं करो अभिमान, एक दिन पवन सा उड़ जाना
जाड़ा पहरो झीणा पहरो, पहरो मलमल साचा
रुपिया पावल मशरू पहरो, तोए मरण केरी आसा
खाक में खप जाना रे बंदा, माटी से मिल जाना
सोना पहरो रूपा पहरो, पहरो हीरला साचा
वार वार मोतीड़ा पहरो, तोए मरण केरी आसा
खाक में खप जाना रे बंदा, माटी से मिल जाना
माता रोए छे जनमों जनम ने, बहनी रोए बारह मासा
घर केरी नारी तेर दिन रोवे, करे बया केरी आसा
खाक में खप जाना रे बंदा, माटी से मिल जाना
एक दिन जीयो, दो दिन जीयो, जीयो वरस पचासा
कहत कबीरा सुनो मेरे साधो, तोए मरण केरी आसा
खाक में खप जाना रे बंदा, माटी से मिल जाना
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Author - Saroj Jangir
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Kabir Bhajan Lyrics in Hindi