अगर तूने दया का हाथ सिर पर ना धरा होता

अगर तूने दया का हाथ सिर पर ना धरा होता

अगर तूने दया का हाथ,
सिर पर ना धरा होता,
तो मिट जाती मेरी हस्ती,
ना जाने कहाँ पड़ा होता,
अगर तूने दया का हाथ,
सिर पर ना धरा होता।।

सितमगर बन के दुनिया ने,
सितम लाखों ही ढाए हैं,
तभी तो हारकर बाबा,
तुम्हारे द्वार आए हैं,
अगर पग पग पे सुख~दुख में,
तू संग में ना खड़ा होता,
तो मिट जाती मेरी हस्ती,
ना जाने कहाँ पड़ा होता,
अगर तूने दया का हाथ,
सिर पर ना धरा होता।।

मुझे जब याद आता है,
वो तूफ़ानों का था मंज़र,
कहीं मर जाऊँ ना डर से,
बड़ा भय था मेरे अंदर,
मेरे खातिर तूफ़ानों से,
अगर तू ना लड़ा होता,
तो मिट जाती मेरी हस्ती,
ना जाने कहाँ पड़ा होता,
अगर तूने दया का हाथ,
सिर पर ना धरा होता।।

बड़ा ग़मगीन रहता था,
मैं क्या~क्या अपनी बतलाऊँ,
कलेजा चीर के अपने,
मैं कैसे दुखड़े दिखलाऊँ,
अगर इस श्याम का दामन,
ख़ुशी से ना भरा होता,
तो मिट जाती मेरी हस्ती,
ना जाने कहाँ पड़ा होता,
अगर तूने दया का हाथ,
सिर पर ना धरा होता।।

अगर तूने दया का हाथ,
सिर पर ना धरा होता,
तो मिट जाती मेरी हस्ती,
ना जाने कहाँ पड़ा होता,
अगर तूने दया का हाथ,
सिर पर ना धरा होता।।


Agar Tune Daya Ka - अगर तूने दया का || Latest Khatu Shyam Bhajan 2015 || Manoj Mishra

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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