सतगुर मिल्या त का भया जे मनि मीनिंग
सतगुर मिल्या त का भया जे मनि पाड़ी भोल हिंदी मीनिंग
पासि बिनंठा कप्पड़ा, क्या करै बिचारी चोल।।
Satagur Milya Ta Ka Bhaya, Je Mani Paadee Bhol.
Paasi Binantha Kappada, Kya Karai Bichaaree Chol.
सतगुर मिल्या त का भया शब्दार्थ - सतगुरु=गुरु, क्या भया -क्या हुआ, मनि -मन में, पाडी - पड़ी, भोल - भूल, पासी-मैल, बिनंठा - विनष्ठ, चोल मजीठ, रंगरेज।
सतगुर मिल्या त का भया दोहे का हिंदी मीनिंग: शिष्य में यदि भक्ति भावना नहीं है तो सतगुरु के मिलने पर भी कोई लाभ नहीं होने वाला है। सतगुरु एक मार्ग दिखाता है अब उस पर चलना शिष्य को ही है। तन रूपी कपडे पर यदि माया रूपी रंग चढ़ा हुआ है / कपड़ा मैला है तो उस पर दूसरा रंग कैसे चढ़ेगा ? इसमें रंगरेज (कपडे की रंगाई करने वाला ) का कोई दोष नहीं है। रंगरेज तभी रंग चढ़ा सकता है जब कपडा साफ़ हो। ऐसे ही यदि शिष्य व्यक्तिगत प्रयत्न करके माया को दूर नहीं करता है और उसके स्वभाव में माया जनित लक्षण हैं तो अच्छे से अच्छा गुरु भी उसे कोई ज्ञान नहीं दे पाता है। ज्ञान का रंग उस पर चढ़ेगा ही नहीं क्योंकि उस पर तो विषय वासनाओं का रंग चढ़ा हुआ है। इस दोने में दृष्टांत अलंकार का प्रयोग हुआ है।
