राम नाम के पटतरै देबै कौं कछु नाहिं मीनिंग
राम नाम के पटतरै देबै कौं कछु नाहिं।
क्या लै गुरु संतोषिए, हौस रही मन मौहि।
Raam Naam Ke Patatarai Debai Kaun Kachhu Naahin.
Kya Lai Guru Santoshie, Haus Rahee Man Mauhi.
राम नाम के पटतरै शब्दार्थ
पटतरै = समान वस्तु, होनी =तीव्र अभिलाषा, हौंस-इच्छा, संतोषिए-संतोष करके चुप रह जाना, माँहि -अंदर।
राम नाम के पटतरै दोहे का भावार्थ हिंदी मीनिंग
गुरु ने अमूल्य राम का नाम दिया है, भक्ति का मार्ग दिखाया है। गुरु को देने के लिए राम नाम तुल्य कोई वस्तु मेरे पास नहीं है। गुरु को बदले में क्या दूँ, यही सोचकर संतोष कर लिया है (देने को कुछ नहीं है ) गुरु को कुछ देने की इच्छा मन में ही रह गयी क्योंकि बदले में समान महत्त्व की कोई वस्तु मेरे पास नहीं है। इस दोहे में गुरु की महिमा का वर्णन किया गया है।
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