कबीर सुख कौ जाइ था आगै आया मीनिंग
कबीर सुख कौ जाइ था आगै आया दुख मीनिंग
कबीर सुख कौ जाइ था, आगै आया दुख।जाहि सुख घरि आपणै हम जाणैं अरु दुख॥
Kabir Sukh Ko Jaai Tha, Aage Aaaya Dukh,
Jaahi Sukh Ghari Aapne, Hum Jaane Aru Dukh.
Kabir Sukh Ko Jaai Tha, Aage Aaaya Dukh,
Jaahi Sukh Ghari Aapne, Hum Jaane Aru Dukh.
सुख कौ जाइ था : सुख की आस में चला जा रहा था.
आगै आया दुख : आगे दुःख मिल गया.
जाहि सुख घरि आपणै : जाओ सुख तुम अपने घर पर.
हम जाणैं अरु दुख : हम जाने और दुःख जाने.
आगै आया दुख : आगे दुःख मिल गया.
जाहि सुख घरि आपणै : जाओ सुख तुम अपने घर पर.
हम जाणैं अरु दुख : हम जाने और दुःख जाने.
कबीर साहेब की वाणी है की वह तो सामान्य जन की भाँती सुख की आशा में चले जा रहा था, लेकिन आगे चलकर उसे दुःख प्राप्त हो गया. इस पर कबीर साहेब दुःख से कहते हैं की तुम सुख तुम अपने घर पर जाओ, मैं जानू और मेरा दुःख जाने. साधक तुच्छ सांसारिक सुखों में व्यस्त था लेकिन वे क्षणिक हैं. मायाजनित सुख स्थाई नहीं होते हैं. प्रभु की प्राप्ति का जो विरह है, वह साधक को अब सुख लगने लगा है.
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें। |