राम नाम निज मूल है कहै कबीर समुझाय हिंदी मीनिंग
राम नाम निज मूल है, कहै कबीर समुझाय।
दोई दीन खोजत फिरै, परम पुरुष नहि पाय ।।
Raam Naam Nij Mool Hai, Kahai Kabeer Samujhaay.
Doee Deen Khojat Phirai, Param Purush Nahi Paay .
हिंदी और मुस्लिम ( दोई दीन खोजत फिरे) दोनों ही ईश्वर की तलाश में हैं लेकिन दोनों ने ही परम पुरुष (ईश्वर ) को प्राप्त नहीं किया क्योंकि राम (निर्गुण ) ही मुक्ति का आधार है, हिन्दू सगुन राम को और मुस्लिम अल्लाह को खोजते हैं जबकि सत्य पर उनका ध्यान नहीं जा रहा है। दोनों ही ईश्वर को जगत की भौतिक वस्तुओं में ढूंढ रहे हैं, जबकि परम पुरुष/परमसत्ता उनके हृदय में ही विराजमान है। लोग व्यर्थ में ही अपने आचरण पर ध्यान नहीं देते हैं। वह हमारे अंदर है लेकिन हम उसका दर्शन नहीं कर सके क्योंकि हमारे अंदर तृष्णा, लालच और अहम् की दीवारे हैं। जब यह दीवारे टूटने लगती हैं तब कहीं जाकर उस परम सत्ता का एहसास होता है।
आपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं