माया तजी तौ का भया मीनिंग Maya Taji To Ka Bhajaya Meaning Kabir Dohe, Kabir Ke Dohe Hindi Meaning (Hindi Arth/Bhavarth)
माया तजी तौ का भया, मानि तजी नहीं जाइ।मानि बड़े मुनियर गिले, मानि सबनि को खाइ॥
Maya Taji To Ka Bhaya, Maani Taji Nahi Jaai,
Maani Bade Guniyar Mile, Maani Sabani Ki Khaai.
माया तजी तौ का भया : यदि माया का त्याग कर दिया है तो क्या हुआ.
मानि तजी नहीं जाइ : मान, सम्मान को छोड़ा नहीं जा रहा है.
मानि बड़े मुनियर गिले : मान सम्मान के प्रभाव से तो बड़े बड़े मुनिजन भी मुक्त नहीं हो पा रहे हैं.
मानि सबनि को खाइ : मान सम्मान की लालसा सभी को निगल जाती है.
माया : माया, धन दौलत की लालसा,
तजी : त्याग कर देने पर.
तौ का भया : तो क्या हुआ.
मानि : मान सम्मान को.
तजी : छोड़ना, त्याग करना.
बड़े मुनियर: सिद्ध संतजन.
गिले : निगल जाती है.
मानि सबनि को खाइ : मान सभी को खा जाती है.
मानि तजी नहीं जाइ : मान, सम्मान को छोड़ा नहीं जा रहा है.
मानि बड़े मुनियर गिले : मान सम्मान के प्रभाव से तो बड़े बड़े मुनिजन भी मुक्त नहीं हो पा रहे हैं.
मानि सबनि को खाइ : मान सम्मान की लालसा सभी को निगल जाती है.
माया : माया, धन दौलत की लालसा,
तजी : त्याग कर देने पर.
तौ का भया : तो क्या हुआ.
मानि : मान सम्मान को.
तजी : छोड़ना, त्याग करना.
बड़े मुनियर: सिद्ध संतजन.
गिले : निगल जाती है.
मानि सबनि को खाइ : मान सभी को खा जाती है.
कबीर साहेब की वाणी है की जीवात्मा माया का त्याग कर भी दे तो भी मान सम्मान का त्याग कर पाना बहुत ही मुश्किल होता है. मान सम्मान का त्याग कर पाना बहुत ही मुश्किल है. यह अहम् ही मान सम्मान है जो बड़े बड़े मुनिजन और संतजन को भी निगल जाता है. यह अहम् और मान सम्मान की भावना ही ज्ञानियों के पतन का कारण बनता है. यह अहम् ही सभी को खा जाता है.
अतः भाव है की अहम् का त्याग करने पर ही व्यक्ति भक्ति मार्ग पर आगे बढ़ सकता है.
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