मोको कहाँ ढूँढ़े बंदे हिंदी मीनिंग Class IX NCERT Hindi Section 'Moko Kahan Dhundhe Re Bande' Hindi Meaning कबीर के सबद (पद) हिंदी व्याख्या
मोको कहाँ ढूँढ़े बंदे , मैं तो तेरे पास में ।
ना मैं देवल ना मैं मसजिद , ना काबे कैलास में ।
ना तो कौने क्रिया - कर्म में , नहीं योग वैराग में ।
खोजी होय तो तुरतै मिलिहौं , पलभर की तलास में ।
कहैं कबीर सुनो भई साधो , सब स्वासों की स्वास में॥
ना मैं देवल ना मैं मसजिद , ना काबे कैलास में ।
ना तो कौने क्रिया - कर्म में , नहीं योग वैराग में ।
खोजी होय तो तुरतै मिलिहौं , पलभर की तलास में ।
कहैं कबीर सुनो भई साधो , सब स्वासों की स्वास में॥
Moko Kahaan Dhoondhe Bande , Main To Tere Paas Mein .
Na Main Deval Na Main Masajid , Na Kaabe Kailaas Mein .
Na To Kaune Kriya - Karm Mein , Nahin Yog Vairaag Mein .
Khojee Hoy To Turatai Milihaun , Palabhar Kee Talaas Mein .
Kahain Kabeer Suno Bhee Saadho , Sab Svaason Kee Svaas Mein॥
Na Main Deval Na Main Masajid , Na Kaabe Kailaas Mein .
Na To Kaune Kriya - Karm Mein , Nahin Yog Vairaag Mein .
Khojee Hoy To Turatai Milihaun , Palabhar Kee Talaas Mein .
Kahain Kabeer Suno Bhee Saadho , Sab Svaason Kee Svaas Mein॥
मोको कहाँ ढूँढ़े बंदे शब्दार्थ : मोको -मुझे, देवल-मंदिर, देवरा, मसजिद-मस्जिद, काबे कैलाश-काबा (मुस्लिम पवित्र स्थान ) कैलाश-हिन्दू तीर्थ, कोने क्रिया-किसी कर्म विशेष में, योग-भक्ति साधना, वैराग-वैराग्य, तुरते-तुरंत, सब स्वासों की स्वास में-हर व्यक्ति की स्वांस में विराजमान हूँ।
मोको कहाँ ढूँढ़े बंदे हिंदी मीनिंग: ईश्वर कहाँ है और तुम उसे कहाँ ढूँढ रहे हो ? मैं जहाँ हूँ तुम वहां मुझे नहीं खोज रहे हो और तुम मुझे मंदिर मस्जिद में खोज रहे हो। ईश्वर किसी स्थान विशेष का नहीं है वरन तो इस श्रष्टि के कण कण में व्याप्त है। ना तो मैं मंदिर में हूँ और ना ही मस्जिद में, मैं ना तो काबे में हूँ और ना ही कैलाश में। ईश्वर को पवित्र और तीर्थ स्थानों पर ढूँढना मूर्खता है। किसी विशेष क्रिया कर्म से या वैराग्य धारण करने पर मुझे पाया जा सकता है। यदि कोई खोजने वाला हो तो मैं तो प्रत्येक सांस में मौजूद हूँ। तुम अंदर ढूंढो मैं अंदर ही हूँ। ऐसे ही बाबा बुल्ले शाह ने कहा की मंदिर मस्जिद में जा करके इश्वर को ढूंढ़ता है, जो अंदर बैठा है उसे कभी पकड़ा ही नहीं।
पढ़ पढ़ आलम फाजल होया, कदी अपने आप नू पढ़या नईं
जा जा वड़ना मंदिर मसीतां, कदी मन अपने विच वड़या नई
एवईं रोज शैतान नाल लड़दा, कदी नफ्स अपने नाल लड़या नई
बुल्ले शाह आसमानी उड दियां फड़दा, जेड़ा घर बैठा उह नूं फड़िया नईं
मक्के गयां गल्ल मुक्दी नाहीं भले सौ सौ जुमा पढ़ आईये
गंगा गयां गल्ल मुक्दी नाहीं भांवे सौ सौ गोते खाईये
गया गयां गल्ल मुक्दी नाहीं भांवे सौ सौ पंड पढ़ाईये
बुल्ले शाह गल्ल ताइयों मुक्दी जदो मैं नूं दिलों मुकाईए
जा जा वड़ना मंदिर मसीतां, कदी मन अपने विच वड़या नई
एवईं रोज शैतान नाल लड़दा, कदी नफ्स अपने नाल लड़या नई
बुल्ले शाह आसमानी उड दियां फड़दा, जेड़ा घर बैठा उह नूं फड़िया नईं
मक्के गयां गल्ल मुक्दी नाहीं भले सौ सौ जुमा पढ़ आईये
गंगा गयां गल्ल मुक्दी नाहीं भांवे सौ सौ गोते खाईये
गया गयां गल्ल मुक्दी नाहीं भांवे सौ सौ पंड पढ़ाईये
बुल्ले शाह गल्ल ताइयों मुक्दी जदो मैं नूं दिलों मुकाईए
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