कबीर माया डाकनी सब किसही कौ मीनिंग
कबीर माया डाकनी सब किसही कौ खाइ मीनिंग
कबीर माया डाकनी, सब किसही कौ खाइ।दाँत उपाड़ो पापणी, जे संतौं नेड़ी जाइ॥
Kabir Maaya Dhakadi, Sab Kishi Ko Khai,
Daant Upano Papadi, Je Santo Nedi Jaai.
Kabir Maaya Dhakadi, Sab Kishi Ko Khai,
Daant Upano Papadi, Je Santo Nedi Jaai.
कबीर माया डाकनी : माया डाकिनी है.
सब किसही कौ खाइ : सभी को खाती है.
दाँत उपाड़ो पापणी : इस पापिनी के दांत उखाड़ दो.
जे संतौं नेड़ी जाइ : यदि यह संतजन के निकट आती है.
माया : जगत की/सांसारिक माया,
डाकनी : डाकिनी है, पिशाचिनी है.
सब किसही कौ : सभी को.
खाइ : खा जाती है.
उपाड़ो : उपाड दो, उखाड़ दो.
पापणी : पाप युक्त है, पापिनी है.
जे : यदि.
संतौं : संतजन के.
नेड़ी : समीप.
जाइ : जाती है.
सब किसही कौ खाइ : सभी को खाती है.
दाँत उपाड़ो पापणी : इस पापिनी के दांत उखाड़ दो.
जे संतौं नेड़ी जाइ : यदि यह संतजन के निकट आती है.
माया : जगत की/सांसारिक माया,
डाकनी : डाकिनी है, पिशाचिनी है.
सब किसही कौ : सभी को.
खाइ : खा जाती है.
उपाड़ो : उपाड दो, उखाड़ दो.
पापणी : पाप युक्त है, पापिनी है.
जे : यदि.
संतौं : संतजन के.
नेड़ी : समीप.
जाइ : जाती है.
माया के विषय में कबीर साहेब के विचार हैं की यह माया सभी को समाप्त करने वाली, खा जाने वाली है. लेकिन यही माया यदि संतजन के निकट भी जाती है तो संतजन इसके दांत को उखाड़ फेंकते हैं. अतः माया संतजन के, राम भक्त के निकट नहीं जाती है. भाव है की माया से बचने का एक ही आधार है, इश्वर के नाम का सुमिरण. जो व्यक्ति इश्वर के नाम का सुमिरण करते हैं, माया उसका कुछ भी अहित नहीं कर पाती है. प्रस्तुत साखी में रूपक अलंकार की व्यंजना हुई है.
भजन श्रेणी : कबीर के दोहे हिंदी मीनिंग
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें। |