पतंजली ताम्र भस्म फायदे Patanjali Tamra Bhasma Tamra Bhasm Usages, Benefits and Doses

पतंजली ताम्र भस्म फायदे Patanjali Tamra Bhasma Tamra Bhasm Usages, Benefits and Doses

पतंजलि ताम्र भस्म क्या है : About Patanjali Tamra Bhasma

ताम्र भस्म ताम्बे (कॉपर) से बनायी जाने वाली (ताम्र आधारित ) भस्म है जिसे ताम्र भस्म कहा जाता है। अन्य भस्मों की भाँती ही इस भस्म को भी शास्त्रीय विधि से बनाया जाता है और अन्य भस्मों की भाँती आयुर्वेद में वैदिक काल से ही मेटल्स (धातु ) से भस्म बनाकर ओषधि के रूप में इसका उपयोग किया जाता रहा है। ताम्बे में मिश्रित सभी अशुद्धियों को दूर करने (शोधन ) के उपरांत भस्म का निर्माण किया जाता है। नेपाल और मलेछ, ये दो ताम्बे के प्रकार होते हैं जिनमे 'नेपाल' ताम्बे से भस्म का निर्माण किया जाता है। नेपाली ताम्र गहरे लाल वर्ण का होता है जो चोट मारने पर फैलता है, यह सामन्य तांबे से श्रेष्ठ माना जाता है जो की देखने में अधिक चमकीला और गहरे रंग का होता है। गोमूत्र, निम्बू रस आदि शाश्त्र वर्णित रसो में ताम्बे को शुद्ध करने के उपरान्त बुझाया जाता है। आक के पत्तों में इसे कई बार बुझाया जाता है 

पतंजली ताम्र भस्म फायदे Patanjali Tamra Bhasma Tamra Bhasm Usages, Benefits and Doses

पतंजलि ताम्र भस्म का उपयोग : Patanjali Tamra Bhasma Usages Hindi

ताम्र भस्म का उपयोग ट्यूमर, जलोदर, शूल विकार में, हैजा, लिवर रोग, उदर रोग, प्रमेह, अजीर्ण, विषमज्वर, अस्थमा, खून की कमी, सन्निपात, कफोदर, श्वशन के रोग, अम्ल पित्त, लिवर स्प्लीन बढ़ जाना, प्लीहोदर, यकृत् विकार, परिणामशूल, हिचकी, कोलेस्ट्रॉल का ज्यादा स्तर, संग्रहणी, ट्यूमर, अतिसार, संग्रहणी, पाण्डु, मांसार्बुद, गुल्म, कुष्ठ, कृमि रोग, हैजा, अम्लपित्त आदि विकारों को दूर करने में इसका उपयोग किया जाता है। लम्बे समय के कफ्फ जनित रोगों में भी इसका लाभ मिलता है। ताम्र भस्म से जहाँ शरीर को आवश्यक खनिजों की पूर्ति होती हैं वहीँ, स्वस्थ तंत्रिका तंत्र और हड्डियों का भी विकास होता है। (अधिक जाने : आयुर्वेदा )

पतंजलि ताम्र भस्म के गुण धर्म : Guna Karma of Patanjali Tamra Bhasma Hindi

पतंजलि ताम्र भस्म स्वाद में कसाय, मधुर तिक्त, अमल होती है। इसके गुण लघु, रुक्षण और तीक्ष्ण है। इसका वीर्य उष्ण और विपाक कटु होता है। ताम्र भस्म का मुख्य कर्म कफ्फ को कम करना, पित्त को नियंत्रित करना होता है। यह लिवर, अमाशय, स्किन और मसल्स पर बेहतर कार्य करती है।
पतंजलि ताम्र भस्म की तासीर : पतंजलि ताम्र भस्म की तासीर गर्म होती है।
पतंजलि ताम्र भस्म कीखुराक (डॉज ) : इसकी खुराक और सेवन शुद्ध रूप से वैद्य की सलाह के मुताबिक ही होना चाहिए।

पतंजलि ताम्र भस्म के फायदे Patanjali Tamra Bhasma Benefits Patanjali Tamra Bhasma Ke Fayade Hindi

वैद्य के निरीक्षण और दिशानिर्देशानुसार ताम्र भस्म के सेवन से निम्न विकारों में फायदा होता है।
  • ताम्र भस्म की तासीर गर्म होती है इसलिए यह कफ्फ को शरीर में कम करती है। कफ्फ जनित अन्य विकारों में भी इसका सेवन लाभदायी होता है।
  • पाचन तंत्र के विकार यथा अपच, आफरा और एसिडिटी आदि विकारों में इसके सेवन से सकारात्मक परिणाम प्राप्त होते हैं।
  • ताम्र भस्म से ताम्बे और अन्य आवश्यक खनिजों की पूर्ति होती है और इसकी तासीर गर्म होने के कारण यह कफ को समाप्त कर स्वांस लेने की प्रक्रिया को सुचारू करती है। इसके सेवन से फेफड़ों की कार्य प्रणाली सुचारु होती है और स्वांस लेने में सुधार होता है।
  • यकृत में पथरी जो जाने पर ताम्र भस्म उपयोग ओषधि होती है।
  • गुल्म की गाँठ को गलाने के लिए भी उपयोगी और बढ़ी हुयी प्लीहा को भी नष्ट करने में उपयोगी।
  • जलोदर विकार में अन्य दवाओं के योग से उपयोगी।
  • हैजा और बढे हुए अम्ल पित्त में लाभकारी ओषधि।
  • शरीर में रक्त की कमी को दूर करने के लिए।
  • पाण्डु रोग और कुष्ठ रोग में उपयोगी दवा।
  • लिवर और स्प्लीन की बढ़ोत्तरी को रोकता है।
  • शीत जनित विकार यथा कफ, खांसी और अस्थमा जैसे रोगों में उपयोगी दवा।
  • पाइल्स विकार को दूर करने में उपयोगी दवा।
  • हाई कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में उपयोगी दवा।
  • पैरासिटिक इन्फेक्शन को दूर करने में बहुत ही उपयोगी।
  • नुरोलॉजिकल डिसऑर्डर को दूर करने में उपयोगी।

शरीर में ट्यूमर को दूर करने के लिए बहुत ही उपयोगी ओषधि। पतंजलि ताम्र भस्म कहाँ से ख़रीदे :ताम्र भस्म को आप वैद्य की सलाह के उपरान्त पतंजलि आयुर्वेदा स्टोर्स या फिर ऑनलाइन भी खरीद सकते हैं। इसे खरीदने या फिर इसके विषय में मजीद मालूमात के लिए निचे दिए गए लिंक पर विजिट करें।

https://www.patanjaliayurved.net/product/ayurvedic-medicine/bhasma/tamra-bhasma/190 पतंजलि ताम्र भस्म की कीमत : ०१ ग्राम २५ रुपये। 


पतंजलि का ताम्र भस्म के विषय में कथन :पतंजलि वेब साइट पर इस दवा के सबंध में निम्न कथन प्राप्त होता है।

It is beneficial in tumor, any type of gland and stomach related diseases. It does not cast any side or ill-effect on the patient and is helpful in any of the old or complex disease. 

पतंजलि ताम्र भस्म के सेवन में सावधानियां : पतंजलि ताम्र भस्म के सेवन करने से पूर्व वैद्य की सलाह लेवें क्योंकि आपकी उम्र, शरीर की तासीर, रोग के प्रकार के मुताबिक इसकी मात्रा और योग (अन्य दवाओं का योग ) बदल सकता है। इस दवा को अपनी मर्जी से नहीं लेना चाहिए, और निम्न सावधानियां रखनी चाहिए।

  • छोटे बच्चों को इसकी खुराक नहीं देनी चाहिए। पांच वर्ष से कम के बच्चों के लिए इसका सेवन सही नहीं माना जाता है।
  • गर्भधारण के दौरान और स्तनपान के समय सामन्य रूप से इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
  • यदि इसके सेवन से शरीर में नाक से खून का बहना, हाई ब्लड प्रेशर, मुंह में छाले आदि हो जाएँ तो तुरंत इसका सेवन रोक कर वैद्य से संपर्क करना चाहिए।
  • लगातार २० दिनों से अधिक इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
  • ताम्र भस्म या कोई भी भस्म प्रतिष्ठित निर्माता का ही खरीदना चाहिए। लोकल स्तर पर बनायी जाने वाली ताम्र भस्म लाभ के स्थान पर हानि करती है क्यों की इसका शोधन शाश्त्र विधि से नहीं किया जाता है। ताम्र भस्म को आप चुटकी में लेकर भी देखें क्योंकि उच्च गुणवत्ता की भस्म बहुत ही महीन होती है जो आपकी अँगुलियों और अंगूठे की रेखाओं में फँस जाती है। निम्न स्तर की कच्ची भस्म आपको सीरियस इंजरी कर सकती है। 

ताम्र भस्म पेट दर्द ,यकृत विकार, ग्रहणी, आंव , खून की कमी ,कृमि रोग ,त्वचा रोग एवं अर्बुद में उपयोगी औषधि सिद्ध होती है।  विशेष परिस्थितियों में यह मोटापे को कम करती है।

अधिक जानकारी के लिए निम्न सोर्स डॉक्यूमेंटेशन का अध्ययन करें।


The author of this blog, Saroj Jangir (Admin), is a distinguished expert in the field of Ayurvedic Granths. She has a diploma in Naturopathy and Yogic Sciences. This blog post, penned by me, shares insights based on ancient Ayurvedic texts such as Charak Samhita, Bhav Prakash Nighantu, and Ras Tantra Sar Samhita. Drawing from an in-depth study and knowledge of these scriptures, Saroj Jangir has presented Ayurvedic Knowledge and lifestyle recommendations in a simple and effective manner. Her aim is to guide readers towards a healthy life and to highlight the significance of natural remedies in Ayurveda.
आपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं
+

एक टिप्पणी भेजें