गिरिराज धरण प्रभु तुम्हरी शरण भजन
सपने को साकार बनाया, करके कृपा मुझे पास बुलाया ,
मुझ अनाथ को श्रीनाथ ने , देकर प्रेम सनाथ बनाया ,
अपने पतिदेव के साथ चली , मेरी नैया पार लगी ।
झाँकी करने को आज मैं , श्रीजी के द्वार चली ।
बहुत दिनों के बाद , मेंरी तकदीर खुली ,
झाँकी करने को आज , मैं श्रीजी के द्वार चली ।
गिरिराज धरण प्रभु तेरी शरण
मोर चन्द्रिका शीश पे सोहे , श्याम छवि सब का मन मोहे ,
मुझे हाथ से पास बुलावे , कटी हाथ में कमल धरावे ,
मेरी नाथ नगरिया, प्रभु की बगिया, महके गली – गली,
झाँकी करने को आज , मैं श्रीजी के द्वार चली ।
बहुत दिनों के बाद
गिरिराज धरण प्रभु तेरी शरण
जाकर सन्मुख बैठ धरूँगी , निरख – निरख छवि दरश करूँगी ,
सेवा करके श्रीनाथ की , जीवन अपना सफल करूँगी ,
माला भी मैं गूथूँगी , चुन – चुन कर कली कली ।
झाँकी करने को आज मैं , श्रीजी के द्वार चली ।
बहुत दिनों के बाद
गिरिराज धरण प्रभु तेरी शरण
मुझ अनाथ को श्रीनाथ ने , देकर प्रेम सनाथ बनाया ,
अपने पतिदेव के साथ चली , मेरी नैया पार लगी ।
झाँकी करने को आज मैं , श्रीजी के द्वार चली ।
बहुत दिनों के बाद , मेंरी तकदीर खुली ,
झाँकी करने को आज , मैं श्रीजी के द्वार चली ।
गिरिराज धरण प्रभु तेरी शरण
मोर चन्द्रिका शीश पे सोहे , श्याम छवि सब का मन मोहे ,
मुझे हाथ से पास बुलावे , कटी हाथ में कमल धरावे ,
मेरी नाथ नगरिया, प्रभु की बगिया, महके गली – गली,
झाँकी करने को आज , मैं श्रीजी के द्वार चली ।
बहुत दिनों के बाद
गिरिराज धरण प्रभु तेरी शरण
जाकर सन्मुख बैठ धरूँगी , निरख – निरख छवि दरश करूँगी ,
सेवा करके श्रीनाथ की , जीवन अपना सफल करूँगी ,
माला भी मैं गूथूँगी , चुन – चुन कर कली कली ।
झाँकी करने को आज मैं , श्रीजी के द्वार चली ।
बहुत दिनों के बाद
गिरिराज धरण प्रभु तेरी शरण
भजन "Giriraj Dharan Prabhu Tumhari Sharan" #brajbhajan
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Author - Saroj Jangir
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