झाड़ चढ़ंता मछिया रे देखी भजन
झाड़ चढ़ंता मछिया रे देखी, ससले सिंह को डराया
कीड़ी कुंजल से लड़वा रे लागा, कौण जीता कौण हारा?
थारी काया में!
पापी अपराधी राज करंता डीठा, तम देखो देखनहारा
थारी काया में...
समदर केरी लहर डियावी, अंधला कहे मैं देखा
नागा कहे मेरा चीर लुटाणा, लंगड़ा कहे मैं भागा
थारी काया में...
अग्नि कहे मने टाट पड़त है, पानी कहे मैं प्यासा
अनाज कहे मने खुदिया लागी, घिरत कहे मैं रूखा
थारी काया में...
कहत कबीरा सुन भाई साधो ई पंथ बिरले पाया
हीये पंथ री करे खोजना, सीधे वैकुंठ पावो
थारी काया में...
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