शबद सबन से न्यारा रे संतो भजन

कबीर भजन "शबद सबन से न्यारा" : यह भजन श्री प्रहलाद सिंह टिपानिया जी के द्वारा गाया गया है जिसमे सतगुरु साहेब की वाणी है की बाह्य क्रियाओं से अलग शब्द की महिमा है जिसे कोई पारखी व्यक्ति ही समझ सकता है। यह भौतिक और सांसारिक क्रियाओं से परे है। सन्यासी व्यक्ति अपने शरीर पर राख मलते रहते हैं लेकिन मूल मन्त्र गुरु के द्वारा ही दिया जाता है। उसी मूल मन्त्र से मुक्ति सम्भव हो सकती है।

शबद सबन से न्यारा रे संतो भजन


कबीर शब्द शरीर में,बीन गुण बाजे तात,
बाहर  भीतर रमी रहा,  ताते छुटी भ्रांत।
शब्द हमारा हम शब्द के,और शब्द ब्रह्म का कुप,
जो चाहे दीदार को, तो परख शब्द का रूप।
शबद सबन से न्यारा रे संतो शब्द सबन से न्यारा,
कोई जानेगा जानन हारा रे साधो शबद सबन से न्यारा।

जोगी जती सती सन्यासी अंग लगावे क्षारा,
मूल मंत्र सब गुरु दया बिन कैसे उतरे पारा,
  शबद सबन से न्यारा रे संतो शब्द सबन से न्यारा,
कोई जानेगा जानन हारा रे साधो शबद सबन से न्यारा

जोग यज्ञ वृत नेम साधना, कर्म धर्म व्यापारा,
वो तो मुक्ति सबन न्यारी, कद छूटे जम द्वारा,
शबद सबन से न्यारा रे संतो शब्द सबन से न्यारा,
कोई जानेगा जानन हारा रे साधो शबद सबन से न्यारा।

निगम नेती जाके गुण गावे, शंकर जोग अधारा,
ब्रह्मा विष्णु जो ध्यान धरत है, सो साधु अगम अपारा,
शबद सबन से न्यारा रे संतो शब्द सबन से न्यारा,
कोई जानेगा जानन हारा रे साधो शबद सबन से न्यारा।

लगा रहे चरणन सतगुरु के, चंद्र चकोर की धारा,
कहे कबीर सुनो भाई साधों नख शिख शब्द हमारा,
शबद सबन से न्यारा रे संतो शब्द सबन से न्यारा,
कोई जानेगा जानन हारा रे साधो शबद सबन से न्यारा। 
 


Kabir Bhajan by Prahlad Singh Tipaniya "Shabad Saban Se Nyara" Lyrics in Hindi Malwa Bhajan Lyrics in Hindi Shabd saban se nyara.

Kabeer Shabd Shareer Mein,been Gun Baaje Taat,
Baahar  Bheetar Ramee Raha,  Taate Chhutee Bhraant.
Shabd Hamaara Ham Shabd Ke,aur Shabd Brahm Ka Kup,
Jo Chaahe Deedaar Ko, To Parakh Shabd Ka Roop.
Shabad Saban Se Nyaara Re Santo Shabd Saban Se Nyaara,
Koee Jaanega Jaanan Haara Re Saadho Shabad Saban Se Nyaara.
 
शबद सबन से न्यारा ।। Shabad Saban se nyara ।। Kabir Bhajan ।। Prahlad Singh Tipanya Bhajan by : Sadguru Kabir
Singer and Tambur : Padmashri Prahlad Singh Tipanya
 
भजन के बोल (Lyrics)
साखी :-
 
कबीर शब्द शरीर में,बीन गुण बाजे तात।
बाहर भीतर रमी रहा, ताते छुटी भ्रांत।।
शब्द हमारा हम शब्द के,और शब्द ब्रह्म का कुप।
जो चाहे दीदार को, तो परख शब्द का रूप।।
भजन:-
शबद सबन से न्यारा रे संतो शब्द सबन न्यारा
कोई जानेगा जानन हारा रे साधो शबद सबन से न्यारा…..….
1. जोगी जती सती सन्यासी अंग लगावे क्षारा
 मूल मंत्र सब गुरु दया बिन कैसे उतरे पारा
 रे संतो शबद सबन से न्यारा…..
2. जोग यज्ञ वृत नेम साधना, कर्म धर्म व्यापारा
 वो तो मुक्ति सबन न्यारी, कद छूटे जम द्वारा
 रे संतो शबद सबन से न्यारा…..
3. निगम नेती जाके गुण गावे, शंकर जोग अधारा
 ब्रह्मा विष्णु जो ध्यान धरत है, सो साधु अगम अपारा
 रे संतो शबद सबन से न्यारा…...
4. लगा रहे चरणन सतगुरु के, चंद्र चकोर की धारा
 कहे कबीर सुनो भाई साधो नख शिख शब्द हमारा
 रे संतो शब्द शब्द से न्यारा…... 
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