पतंजलि एकांगवीर रस फायदे घटक और उपयोग सेवन विधि

पतंजलि एकांगवीर रस, लाभ फायदे घटक और उपयोग Patanjali Ekangveer Ras Benefits Usage and Dose About Patanjali Ekangveer Ras

पतंजलि एकांगवीर रस क्या है What is Patanjali Ekangveer Ras
एकांगवीर रस एक आयुर्वेदिक दवा है जो पाउडर फॉर्म में उपलब्ध है। कुछ निर्माताओं के द्वारा इसे 'वटी' रूप में भी उपलब्ध करवाया जाता है। इस दवा का इस्तेमाल तंत्रिका तंत्र के विकार को दूर करने, कटी शूल, सर्वाइकिल, साइटिका, रिंगण बाय दर्द, पैरालिसिस, लकवा, पक्षाघात आदि रोगों के उपचार के लिए किया जाता है। वात जनित रोगों के लिए भी यह एक उत्तम दवा है। वस्तुतः कमर दर्द, घुटनों का दर्द, जोड़ों का दर्द वात जनित विकार ही होते हैं। लकवा Paralysis, one sided paralysis or complete paralysis, अर्दित, फेसियल परालाइसिस, ग्रध्रसी यानी Sciatica nerve inflammation, एकान्ग वात, अर्धान्ग वात, आदि वात विकारों में इसका सेवन उत्तम माना जाता है।

पतंजलि एकांगवीर रस फायदे घटक और उपयोग Patanjali Ekangveer Ras Benefits Usage and Dose

पतंजलि एकांगवीर रस के घटक Ingrediants of Patanjali Ekangveer Ras

एकांगवीर रस के घटक निचे दिए गए हैं। मूल घटक के अलावा इनमे 'भावना' भी शामिल है। रस सिंदूर ( Ras Sindoor ) शुद्धगंधक ( ShuddhaGandhak ) कांत लौभस्मा ( Kant LauhBhasma ) वंगभस्म ( VangBhasma ) ताम्रभस्म ( TamraBhasma ) अभ्रकभस्मा ( AbhrakBhasma ) के अतिरिक्त घटक 'भावना' में प्रयोग होते हैं। इस दवा के निर्माण में आयुर्वेद शास्त्र बृहत निघन्टु रत्नाकर का तरीका उपयोग में लिया जाता है।
  • रस सिंदूर ( Ras Sindoor ) -शुद्ध पारा और शुद्ध गंधक से निर्मित।
  • शुद्धगंधक ( ShuddhaGandhak )
  • कांत लौभस्मा ( Kant LauhBhasma )
  • वंगभस्म ( VangBhasma ) - वंग / बंग (टिन ) से निर्मित भस्म।
  • ताम्रभस्म ( TamraBhasma ) -अधिक जाने।
  • अभ्रकभस्मा ( AbhrakBhasma ) -अधिक जाने।
  • सौंठ ( Sounth ) : सुखी अदरक
  • काली मिर्च ( Kali Mirch ) Black pepper (Piper nigrum)
  • पीपल ( Pipal )
  • त्रिफला ( Triphala ) -अधिक जाने
  • त्रिकटु ( Trikatu )
  • सँभालु ( Sambhalu ) : निर्गुन्डी (वानस्पतिक नाम : Vitex negundo) संभालू/सम्मालू, शिवारी, निसिन्दा शेफाली, तथा संस्कृत में इसे सिन्दुवार के नाम से जाना जाता है।
  • चित्रक ( Chitrak ) English – Ceylon leadwort (सिलोन लेडवर्ट), व्हाइट फ्लॉवर्ड लेडवर्ट (White flowered leadwort), व्हाइट लेडवर्ट (White leadwort) चीत, चीता, चित्रक, चित्ता, चितरक, चितउर
  • भृंगराज ( Bhringraj ) भृंगराज (अंग्रेजी नाम : False Daisy ; वैज्ञानिक नाम : Eclipta alba) आस्टेरेसी (Asteraceae)
  • सहजन ( Sahjan ) सहजन (Drumstick tree ; वानस्पतिक नाम : "मोरिंगा ओलिफेरा" (Moringa oleifera)
  • आंवला रस ( Amla Ras ) embia officinalls संस्कृत में इसे अमृता, अमृतफल, आमलकी, पंचरसा इत्यादि, अंग्रेजी में 'एँब्लिक माइरीबालन' या इण्डियन गूजबेरी (Indian gooseberry) तथा लैटिन में 'फ़िलैंथस एँबेलिका' (Phyllanthus emblica) कहते हैं।
  • कुचला ( Kuchla ) कुचिला (वानस्पतिक नाम :Strychnos nux vomica)
  • आक ( Aak ) - मदार, अर्क, (वानस्पतिक नाम:Calotropis gigantea)
  • अदरक ( Adrak ) अदरक (वानस्पतिक नाम: जिंजिबर ऑफ़िसिनेल / Zingiber officinale)
  • (Above mentioned ingredients may vary from the actual product)

पतंजलि एकांगवीर रस के लाभ/फायदे Benefits of Patanjali Ekangveer Ras

पतंजलि एकांगवीर रस मूल रूप से वात को नियंत्रित कर वात जनित विकारों की रोकथाम करता है। इसके सेवन से निम्न विकारों में लाभ मिलता है।
  • कटिशूल (स्लिपडिस्क ) , सर्वाइकिल, जोड़ों के दर्द, कमर दर्द में अत्यंत ही लाभकारी।
  • साइटिका और रिंगण बाय के दर्द में उपयोगी दवा।
  • यह ओषधि वातनाशक, कफनाशक और कीटाणुनाशक दवा है जो वाहिनियों और हृदय को भी मजबूत करती है।
  • लकवा और पक्षाघात में इसका उपयोग श्रेष्ठ है। लकवे में एकांगवीर रस के अतिरिक्त रक्त मोक्षण, जलूका का प्रयोग, दाह कर्म और पन्चकर्मादि भी उत्तम माने जाते हैं।
  • शरीर की समस्त नाड़ियों और तंत्रिका तंत्र को बल देती है।
  • सर्वाइकिल के दर्द में एकांगवीर रस उत्तम ओषधि है। इसके साथ महा योगराज गुग्गल का उपयोग भी किया जाता है।
  • इस ओषधि के सेवन से जीवन शक्ति का विकास होता है और शरीर से विजातीय तत्व (टॉक्सिक ), कीटाणुओं को बाहर निकालने में मदद गार होती है।
  • एकांगवीर रस के सेवन से नसों के दर्द में लाभ मिलता है।
  • फेशियल पाल्सी को बेल के पक्षाघात के रूप में भी जाना जाता है, जिसमे रोगी के चेहरे की मांशपेशियां कमजोर हो जाती है और चेहरे का एक भाग कुछ लटकता सा महसूस होता है। ऐसी परिस्थिति में भी वैद्य की सलाह के उपरान्त इस दवा के सेंव से लाभ मिलता है।
  • पतंजलि एकांगवीर रस का सेवन एंव मात्रा Patanjali Ekangveer Ras Doses and Quantity: इस हेतु आप पतंजलि आयुर्वेदा केंद्र पर उपलब्ध वैद्य से संपर्क करें। रोग के प्रकार, रोगी की आयु और शरीर की तासीर के मुताबिक इसकी मात्रा और सेवन विधि / अन्य दवाओं का योग निश्चित होता है। अपनी मर्जी से इस दवा का सेवन करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।

पतंजलि एकांगवीर रस के विषय में पतंजलि आयुर्वेदा का कथन Information available at Patanjali Ayurveda Website about Ekangveer Ras

Ekangveer Ras treats scitica and nerve related problems. It is made through a painstaking process to combine natural and herbal extracts. These components are a natural source of calcium, vitamin D and other nutrients which nourishes our bone structure and relieves us of pains.

पतंजलि एकांगवीर रस कहाँ से खरीदें Where to Buy Patanjali Ekangveer Ras

पतंजलि एकांगवीर रस आपको आपके नजदीक के आयुर्वेदिक स्टोर्स पर उपलब्ध हो जायेगी। यदि आप इस दवा को ऑनलाइन प्राप्त करना चाहते हैं तो पतंजलि आयुर्वेदा की अधिकृत वेबसाइट पर विजिट करें जिसका लिंक निचे दिया गया है।

https://www.patanjaliayurved.net/product/ayurvedic-medicine/parpati-ras/ekangveer-ras/42


एकांगवीर रस के साइड इफेक्ट्स Side Effects of Ekangveer Ras

यह दवा अत्यंत ही तीव्र श्रेणी की दवा है इसलिए वैद्य की बताई मात्रा से अधिक सेवन नहीं करें और अपनी मर्जी से इस दवा का सेवन भी नहीं करना चाहिए।

Patanjali Ayurveda Divya Ekangveer Ras contains Ras Sindoor, Shuddha Gandhak, Kant Lauh Bhasma, Vang Bhasma, Tamra Bhasma, Abhrak Bhasma, Sounth, Kali Mirch, Pipal, Triphala, Trikatu, Sambhalu, Chitrak, Bhringraj, Sahjan, Amla Ras, and Kuchla, Aak and Adrak as active ingredients.
Usages of Patanjali Ayurveda Divya Ekangveer Ras:
Good for waist desmalgia, the problem of veins, paralysis stroke and gastric problems. Ekangveer Ras is good for sciatica and nerve related problems alongwith Nourishes bone structure and relieves pains
Safety information:
  • Read the label carefully before use
  • Do not exceed the recommended dose
  • Keep out of the reach and sight of children 
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Disclaimer: Nothing in this article is to be construed as medical advice, nor it is intended to replace the recommendations of a medical professional. For specific questions, please consult a specialist for the advice.
The author of this blog, Saroj Jangir (Admin), is a distinguished expert in the field of Ayurvedic Granths. She has a diploma in Naturopathy and Yogic Sciences. This blog post, penned by me, shares insights based on ancient Ayurvedic texts such as Charak Samhita, Bhav Prakash Nighantu, and Ras Tantra Sar Samhita. Drawing from an in-depth study and knowledge of these scriptures, Saroj Jangir has presented Ayurvedic Knowledge and lifestyle recommendations in a simple and effective manner. Her aim is to guide readers towards a healthy life and to highlight the significance of natural remedies in Ayurveda.
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दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं इस ब्लॉग पर रोचक और ज्ञानवर्धक जानकारियों और टिप्स यथा आयुर्वेद, हेल्थ, स्वास्थ्य टिप्स, पतंजलि आयुर्वेद, झंडू, डाबर, बैद्यनाथ, स्किन केयर आदि ओषधियों पर लेख लिखती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें

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5 टिप्पणियां

  1. मेरी कमर मै बहुत दर्द रहता है और दाहिने घुटने पर भी और झखंझनाहत होती है
  2. अत्यंत महत्वपूर्ण ौौर उपयोगी जानकारी, भारत के लिए भारतीय आयुर्वेद ही सर्वाधिक प्रभावशाली तथा शीघ्रातिशीघ्र रोग मुक्त करने की विश्वसनीय पद्धति है, जो एलोपैथी के संगठित दुषप्रचार से आहत हो गई थी पर धन्य हैं बाबा रामदेव जी जिन्होंने सारी दुनिया के एलोपैथी के षड्यंत्र पूर्ण दुषप्रचार को सशक्त तरीके से विफल कर आयुर्वेद की पुरानी आभा को न केवल पुनरुज्जीवित किया बल्कि आज आयुर्वेद और आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति पुनः उठकर देश और दुनिया को भी रोगमुक्त बनाने में दृढ़तापूर्वक लगी है.... काश कि बाबा रामदेव जी जैसे कुछ और लोगों को भी ईश्वर ने भारत को दिया होता....?
  3. Ati sunder lecture,I am impressed very much,very good tip n sytyle of speaking.I request you to advise us more n more.Many many thanks.
  4. क्या यह यौन रोग में भी मददगार साबित हो सकती है
  5. Abhi koi lab nahi hua