साई के दरबार में, जब गया मैं पहली बार था,
बाबा के दरबार में, जब गया मैं पहली बार था,
मेरे लिए वो दिन तो जैसे, सब से बड़ा त्यौहार था ,
साई के दरबार में, जब गया मैं पहली बार था,
साई का दर्शन पाके मेरे नैना दोनों छलके थे,
चैन मिला था मन को ऐसा बोझ हुए सब हल्के थे,
बड़े सुहाने पल थे जिसमें,
बड़े सुहाने पल थे जिसमें, साई का हुआ दीदार था,
साई के दरबार में, जब गया मैं पहली बार था,
बाबा के दरबार में, जब गया मैं पहली बार था,
साई के दरबार में, जब गया मैं पहली बार था,
खुले आकाश में खुलके जैसे उड़ता कोई परिंदा हो,
खुले आकाश में खुलके जैसे उड़ता कोई परिंदा हो,
जीवन की हर आशा जैसे, फिर से हो गई जिन्दा हो,
जीवन की हर आशा जैसे, फिर से हो गई जिन्दा हो,
ऐसा अनुभव पाके मेरे मन को मिला करार था,
साई के दरबार में, जब गया मैं पहली बार था,
बाबा के दरबार में, जब गया मैं पहली बार था,
साई के दरबार में, जब गया मैं पहली बार था,
शिरडी जाके पाया मैंने आनंद बड़ा निराला था,
आंखे बंद करके देखा भीतर बड़ा उजाला था,
मिट गई हर इक शंका मेरी दूर हुआ अन्धकार था,
साई के दरबार में, जब गया मैं पहली बार था,
बाबा के दरबार में, जब गया मैं पहली बार था,
साई के दरबार में, जब गया मैं पहली बार था,
सोचता रहता मैं था सागर साई शिरडी होगी कैसी,
जा कर देखा तो मैं समजा नगरी कोई न होगी ऐसी,
धरती ऊपर स्वर्ग वसा है देखा चमत्कार था,
साई के दरबार में, जब गया मैं पहली बार था,
बाबा के दरबार में, जब गया मैं पहली बार था,
साई के दरबार में, जब गया मैं पहली बार था,
बाबा के दरबार में, जब गया मैं पहली बार था,
मेरे लिए वो दिन तो जैसे, सब से बड़ा त्यौहार था ,
साई के दरबार में, जब गया मैं पहली बार था,
साई का दर्शन पाके मेरे नैना दोनों छलके थे,
चैन मिला था मन को ऐसा बोझ हुए सब हल्के थे,
बड़े सुहाने पल थे जिसमें,
बड़े सुहाने पल थे जिसमें, साई का हुआ दीदार था,
साई के दरबार में, जब गया मैं पहली बार था,
बाबा के दरबार में, जब गया मैं पहली बार था,
साई के दरबार में, जब गया मैं पहली बार था,
खुले आकाश में खुलके जैसे उड़ता कोई परिंदा हो,
खुले आकाश में खुलके जैसे उड़ता कोई परिंदा हो,
जीवन की हर आशा जैसे, फिर से हो गई जिन्दा हो,
जीवन की हर आशा जैसे, फिर से हो गई जिन्दा हो,
ऐसा अनुभव पाके मेरे मन को मिला करार था,
साई के दरबार में, जब गया मैं पहली बार था,
बाबा के दरबार में, जब गया मैं पहली बार था,
साई के दरबार में, जब गया मैं पहली बार था,
शिरडी जाके पाया मैंने आनंद बड़ा निराला था,
आंखे बंद करके देखा भीतर बड़ा उजाला था,
मिट गई हर इक शंका मेरी दूर हुआ अन्धकार था,
साई के दरबार में, जब गया मैं पहली बार था,
बाबा के दरबार में, जब गया मैं पहली बार था,
साई के दरबार में, जब गया मैं पहली बार था,
सोचता रहता मैं था सागर साई शिरडी होगी कैसी,
जा कर देखा तो मैं समजा नगरी कोई न होगी ऐसी,
धरती ऊपर स्वर्ग वसा है देखा चमत्कार था,
साई के दरबार में, जब गया मैं पहली बार था,
बाबा के दरबार में, जब गया मैं पहली बार था,
साई के दरबार में, जब गया मैं पहली बार था,
आपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं
- साईं बाबा का क्या कहना लिरिक्स Sai Baba Ka Kya Kahna Lyrics
- तू है कमाल साई तू है विशाल भजन लिरिक्स Tu Hai Kamal Sai Tu Hai Vishal Bhajan Lyrics
- यूँ ही नहीं पूजते हैं लोग ज़माने वाले लिरिक्स Yu Hi Nahi Pujate Hain Log Jamane Wale Lyrics
- मेरे साई मैं जब चाहूँ मुझे मुखड़ा दिखा देना लिरिक्स Mere Sai Me Jab Chahu Lyrics
- बाबा की ज्योति है जब भी जगाई लिरिक्स Baba Ki Jyoti Hai Jab Bhi Jagai Lyrics
- आरती श्री सांईबाबा की लिरिक्स Saai Aarti Lyrics Hindi