सांवरा म्हारी प्रीत निभा ज्यो जी भजन

सांवरा म्हारी प्रीत निभा ज्यो जी भजन

 
सांवरा म्हारी प्रीत निभा ज्यो जी लिरिक्स Sanvra Mhari Preet Nibhajyo Ji Lyrics

सांवरा रे, म्हारी प्रीत निभाजो जी
थे छो म्हारो गुण रो सागर
अवगुण म्हार बिसराजो जी
सांवरा रे, म्हारी प्रीत निभाजो जी…
लोकन धीजै (म्हारो) मन न पतीजै, मुखडारा सबद सुणाज्यो जी॥
मैं तो दासी जनम जनम की, म्हारे आंगणा रमता आज्यो जी।
मीरा के प्रभु गिरधर नागर, बेड़ो पार लगाज्यो जी॥

शब्दार्थ :- साँवरो = कृष्ण। निभाज्यो =निभा लेना। थे छौ =तुम हो। औगण =अवगुण, दोष, भूलें। जाज्यो = जानना, मन में लाना। पतीजै =विश्वासकरना। मुखडारा =मुख का। सबद = शब्द, रमता आज्यो =विहार करते हुए आना। अनहद नाद = बेड़ा पार लगाज्यो = बेड़ा पार लगा दीजिए, उद्धार कर दीजिए।
 
"सांवरा रे, म्हारी प्रीत निभाजो जी" मीरा बाई द्वारा रचित एक प्रसिद्ध भजन है, जिसमें वे भगवान कृष्ण से अपनी भक्ति निभाने की प्रार्थना करती हैं। इस भजन में वे अपने अवगुणों को भूलकर, कृष्ण से अपने प्रेम को स्वीकारने की विनती करती हैं। यह भजन विभिन्न गायकों द्वारा प्रस्तुत किया गया है, जिनमें लता मंगेशकर का संस्करण विशेष रूप से लोकप्रिय है।
 
 
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