भोला हम पे चिटक गयो रे,
पी के भर भर चिलम और भंगिया,
हरेक धुन पे करते हैं तांडव,
डर गयी मेरी सारी सखियाँ रे,
भोला हम पे चिटक गयो रे,
पी के भर भर चिलम और भंगिया,
धूणी रमाये, बैठे अकेले, मैं कैसे इनको बताऊँ,
कैलाश परबत पर मेरी सखियाँ,
कैलाश परबत पर मेरी सखियाँ,हम से ही मिलने आई रे,
भोला हम पे चिटक गयो रे,
पी के भर भर चिलम और भंगिया,
भोले भंडारी आज सुबह से चिलम के चक्कर में पड़ गए,
भोले भंडारी आज सुबह से चिलम के चक्कर में पड़ गए,
चिलम के ऊपर से पी कर के भंगियाँ,
चिलम के ऊपर से पी कर के भंगियाँ,
हाय गजब ही कर गयो रे,
भोला हम पे चिटक गयो रे,
पी के भर भर चिलम और भंगिया,
भोला हम पे चिटक गयो रे,
पी के भर भर चिलम और भंगिया,
कभी ये हँसते, कभी बिगड़ते, कैसा ये हाल बनाये,
कभी ये हँसते, कभी बिगड़ते, कैसा ये हाल बनाये,
मैं गौरी सीधी कैसे मनाऊँ, कुछ भी समझ ना आये,
भोला हम पे चिटक गयो रे,
पी के भर भर चिलम और भंगिया,
भोला हम पे चिटक गयो रे,
पी के भर भर चिलम और भंगिया,
पी के भर भर चिलम और भंगिया,
हरेक धुन पे करते हैं तांडव,
डर गयी मेरी सारी सखियाँ रे,
भोला हम पे चिटक गयो रे,
पी के भर भर चिलम और भंगिया,
धूणी रमाये, बैठे अकेले, मैं कैसे इनको बताऊँ,
कैलाश परबत पर मेरी सखियाँ,
कैलाश परबत पर मेरी सखियाँ,हम से ही मिलने आई रे,
भोला हम पे चिटक गयो रे,
पी के भर भर चिलम और भंगिया,
भोले भंडारी आज सुबह से चिलम के चक्कर में पड़ गए,
भोले भंडारी आज सुबह से चिलम के चक्कर में पड़ गए,
चिलम के ऊपर से पी कर के भंगियाँ,
चिलम के ऊपर से पी कर के भंगियाँ,
हाय गजब ही कर गयो रे,
भोला हम पे चिटक गयो रे,
पी के भर भर चिलम और भंगिया,
भोला हम पे चिटक गयो रे,
पी के भर भर चिलम और भंगिया,
कभी ये हँसते, कभी बिगड़ते, कैसा ये हाल बनाये,
कभी ये हँसते, कभी बिगड़ते, कैसा ये हाल बनाये,
मैं गौरी सीधी कैसे मनाऊँ, कुछ भी समझ ना आये,
भोला हम पे चिटक गयो रे,
पी के भर भर चिलम और भंगिया,
भोला हम पे चिटक गयो रे,
पी के भर भर चिलम और भंगिया,