बिना गुरु की कृपा पाए भजन Bina Guru Ki Kripa Paye Bhajan

बिना गुरु की कृपा पाए भजन Bina Guru Ki Kripa Paye Bhajan

 
बिना गुरु की कृपा पाए भजन लिरिक्स Bina Guru Ki Kripa Paye Bhajan Lyrics

बिना गुरु की कृपा पाए, नहीं जीवन उधारा है ||टेक||
फँसी स्त्रुति आई यम फाँसी, अयन संधि अपनी नाशी,
भई भव सोग की वासी, कठिन जहँ ते उधारा है ॥१॥

गुरु निज भेद बतालावै, सूरत को राह दर्शाये,
जीव-हित आपहि आवै, सूरत को आइ तारा है ॥२॥

गुरु हितु हैं गुरु पितु हैं, गुरु ही जीव के मितु हैं,
गुरु सम कोई नहीं दूजा, जो जीवों को उधारा है ॥३॥

गुरु की नित्य कर्म पूजा, जगत इन सम नहीं दूजा,
मेँहीँ को आना नहीं सूझा, फकत गुरु ही अधूरा है ।।४।।
बिना गुरु की कृपा पाए, नहीं जीवन उधारा है ||टेक||

फँसी स्त्रुति आई यम फाँसी, अयन संधि अपनी नाशी,
भई भव सोग की वासी, कठिन जहँ ते उधारा है ॥१॥

गुरु निज भेद बतालावै, सूरत को राह दर्शाये,
जीव-हित आपहि आवै, सूरत को आइ तारा है ॥२॥

गुरु हितु हैं गुरु पितु हैं, गुरु ही जीव के मितु हैं,
गुरु सम कोई नहीं दूजा, जो जीवों को उधारा है ॥३॥

गुरु की नित्य कर्म पूजा, जगत इन सम नहीं दूजा,
मेँहीँ को आना नहीं सूझा, फकत गुरु ही अधूरा है ।।४।।



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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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3 टिप्पणियां

  1. Bahut Badhiya
    Aisa aisa bhajan aur daliye
  2. Adhara hai udhara nhi
  3. Guru krirpa nahi pdi sadak par