चालो रे सखियाँ चालो हिमालय के द्वारे भजन
चालो रे सखियाँ चलो , हिमालय (हिमाचल )के द्वारे आज,
गोरा बाई रो बींद निरखस्यां गोरो है या कालो राज,
ऐसा कामण म्हारे , शिव बोले ने सोहे राज,
शिव भोले ने सोहे, यह तो गोरा बाई ने मोहे राज,
बाघम्बर का वस्त्र पहेरे , अंग विभूति रमावे राज,
मस्तक पर तो चन्द्रमा सोहे , जटा में गंगा बिराजे ओ राज,
काना में थारे कुंडल सोहे , गल सर्पों की माला राज,
नंदी की असवारी सोहे, त्रिशूल हाथ में धारया ओ राज,
भान्त भान्त का बाराती आया, कोई लूला कोई लंगड़ा राज,
भुत प्रेत ने सागे ल्याया , शिव को रूप अनोखो ओ राज,
भांग धतुरा करे कलेवो , बिजिया खूब चढ़ावे राज,
शिव भोला का आया बाराती , पातल पापड़ खावे ओ राज,
शिव भोले को रूप देख कर, सखियाँ पाछी भागे राज,
सखियाँ यह केवण लागी, बींद घणो ही भून्ड़ो ओ राज,
म्हे नहीं जाणा, म्हारा जोशी कामण गारा राज,
जोशीजी को नेक चुकास्यां कामण ढीला छोड़ो ओ राज,
चालो रे सखियाँ चलो , हिमालय के द्वारे आज,
गोरा बाई रो बींद निरखस्यां गोरो है या कालो राज,
गोरा बाई रो बींद निरखस्यां गोरो है या कालो राज,
ऐसा कामण म्हारे , शिव बोले ने सोहे राज,
शिव भोले ने सोहे, यह तो गोरा बाई ने मोहे राज,
बाघम्बर का वस्त्र पहेरे , अंग विभूति रमावे राज,
मस्तक पर तो चन्द्रमा सोहे , जटा में गंगा बिराजे ओ राज,
काना में थारे कुंडल सोहे , गल सर्पों की माला राज,
नंदी की असवारी सोहे, त्रिशूल हाथ में धारया ओ राज,
भान्त भान्त का बाराती आया, कोई लूला कोई लंगड़ा राज,
भुत प्रेत ने सागे ल्याया , शिव को रूप अनोखो ओ राज,
भांग धतुरा करे कलेवो , बिजिया खूब चढ़ावे राज,
शिव भोला का आया बाराती , पातल पापड़ खावे ओ राज,
शिव भोले को रूप देख कर, सखियाँ पाछी भागे राज,
सखियाँ यह केवण लागी, बींद घणो ही भून्ड़ो ओ राज,
म्हे नहीं जाणा, म्हारा जोशी कामण गारा राज,
जोशीजी को नेक चुकास्यां कामण ढीला छोड़ो ओ राज,
चालो रे सखियाँ चलो , हिमालय के द्वारे आज,
गोरा बाई रो बींद निरखस्यां गोरो है या कालो राज,
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