खोलो दया का द्वार गुरु जी भजन
खोलो दया का द्वार गुरु जी अब खोलो दया का द्वार
जन्म जन्म से भटक रहा हूँ मत करना इंकार
गुरु जी अब खोलो दया का द्वार
तेरा मेरा नाता पुराना तू दाता मैं भिखारी,
प्रेम की भिक्षा डाल दो अब तो खड़ा मैं झोली पसार,
गुरु जी अब खोलो दया का द्वार,
मत ठुकराना दीन को भगवन पतीत हूँ फिर भी तेरा,
या तो कह दो पतितों का तूने किया ना कभी उद्धार,
गुरु जी अब खोलो दया का द्वार,
तुम भी अगर प्रभु ठुकराओगे मिलेगा कहाँ ठिकाना,
सब द्वारों को छोड़ के अब तो पकड़ा तेरा द्वार,
गुरु जी अब खोलो दया का द्वार,
करुणा सिंधु कहलाते हो करो कृपा अब स्वामी,
बाँह पकड़ लो माँझी अब तो नईयां पड़ी मँझधार,
गुरु जी अब खोलो दया का द्वार,
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Author - Saroj Jangir
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