नुकते सफेद सन्मुख, झलके झलाझली भजन लिरिक्स Nukate Safed Sanmukh Jhalake Lyrics

नुकते सफेद सन्मुख, झलके झलाझली भजन लिरिक्स Nukate Safed Sanmukh Jhalake Bhajan Lyrics

 
नुकते सफेद सन्मुख, झलके झलाझली भजन लिरिक्स Nukate Safed Sanmukh Jhalake Lyrics

नुकते सफेद सन्मुख, झलके झलाझली ।।
शहर में नजर स्थिर कर, तन मन की चंचली ॥१॥
संतों ने कही राह यही, शांति की असली ।
शांति को जो चाहता, तज और जो नकली ॥२॥
यह जानता कोई राजदाँ, गुरु की शरण जो ली।
इनके सिवा न आन जो, मद-मान चलन ली ॥३॥
अति दीन होके जिसने, सत्संग सुमति ली।
अपने को सोई मेँ हीँ ', गुरु शरण में कर ली ॥४॥
नुकते सफेद सन्मुख, झलके झलाझली ।।
शहर में नजर स्थिर कर, तन मन की चंचली ॥१॥
संतों ने कही राह यही, शांति की असली ।
शांति को जो चाहता, तज और जो नकली ॥२॥
यह जानता कोई राजदाँ, गुरु की शरण जो ली।
इनके सिवा न आन जो, मद-मान चलन ली ॥३॥
अति दीन होके जिसने, सत्संग सुमति ली।
अपने को सोई मेँ हीँ ', गुरु शरण में कर ली ॥४॥





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