अरी तुम कौन हो री बन में फुलवा बीनन हारी भजन
अरी तुम कौन हो री बन में फुलवा बीनन हारी।
नेह लगन को बन्यौ बगीचा फूल रही फुलवारी।1।
मदनमोहन पिय यों बूझत हैं तू को हे सुकुमारी।।
ललिता बोली लालसों यह बृषभान दुलारी।।2।।
या बन में हम सदा बसत हैं हम ही करत रखवारी।।
बिन बूझे तुम फुलवा बीनत जोबन मद मतवारी।3।
ललित बचन सुन लालकें सब रीझ रही वृजनारी।।
सूरदास प्रभु रस बस कीनी विरह वेदना टारी।4।
अरी तुम कौन हो री बन में फुलवा बीनन हारी।
नेह लगन को बन्यौ बगीचा फूल रही फुलवारी।1।
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या बन में हम सदा बसत हैं हम ही करत रखवारी।।
बिन बूझे तुम फुलवा बीनत जोबन मद मतवारी।3।
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सूरदास प्रभु रस बस कीनी विरह वेदना टारी।4।
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Author - Saroj Jangir
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