छोड़ बैकुंठ को खाटू में श्याम आये हैं Chhod Bekunth Ko Khatu Me Shyam Bhajan
छोड़ बैकुंठ को खाटू में, श्याम आये हैं,
बात ये सुन मैंने जब, ये पग बढ़ाएं हैं,
छोड़ बैकुंठ को खाटू में, श्याम आये हैं,
श्याम सुन्दर की मूरत का, नजारा कर लो,
दिल नहीं भरता तो जाकर दुबारा कर लो,
श्याम से प्यार करो, इनका दीदार करो,
आये हैं श्याम यहाँ, इनका सत्कार करो,
कर में मुरलियाँ है, सुन्दर साँवरियाँ है,
लीले पे चढ़ के आये हैं,
छोड़ बैकुंठ को खाटू में, श्याम आये हैं,
छोड़ बैकुंठ को खाटू में, श्याम आये हैं,
जिधर भी देखो निराली ये, छँटा छाई है,
श्याम के लिए उमड़ श्याम घटा आई है,
होने विभोर लगे, नाचने मोर लगे,
प्रीत के मेले यहाँ, है चारों और लगे,
मधुरता है मधुवन में, गूँजे है कुंजन में,
नारायण नर कहाये हैं,
छोड़ बैकुंठ को खाटू में, श्याम आये हैं,
छोड़ बैकुंठ को खाटू में, श्याम आये हैं,
माँ सेव्यम पराजितः माँ से वर लिया,
दान कर शीश का दुनियाँ में, नाम ऐसा किया,
कृष्ण से नाम लिया, है अद्भुद काम किया,
सहारा हारे का, ये मन में ठान लिया,
'बावरा' (राजू जी बावरा ) कहता है, मस्ती में रहता है,
छोड़ बैकुंठ को खाटू में, श्याम आये हैं,
छोड़ बैकुंठ को खाटू में,
श्याम आये हैं, मस्ती में मस्त छायें हैं,
छोड़ बैकुंठ को खाटू में, श्याम आये हैं,
छोड़ बैकुंठ को खाटू में, श्याम आये हैं,
छोड़ बैकुंठ को खाटू में, श्याम आये हैं,
बात ये सुन मैंने जब, ये पग बढ़ाएं हैं,
छोड़ बैकुंठ को खाटू में, श्याम आये हैं,
बात ये सुन मैंने जब, ये पग बढ़ाएं हैं,
छोड़ बैकुंठ को खाटू में, श्याम आये हैं,
श्याम सुन्दर की मूरत का, नजारा कर लो,
दिल नहीं भरता तो जाकर दुबारा कर लो,
श्याम से प्यार करो, इनका दीदार करो,
आये हैं श्याम यहाँ, इनका सत्कार करो,
कर में मुरलियाँ है, सुन्दर साँवरियाँ है,
लीले पे चढ़ के आये हैं,
छोड़ बैकुंठ को खाटू में, श्याम आये हैं,
छोड़ बैकुंठ को खाटू में, श्याम आये हैं,
जिधर भी देखो निराली ये, छँटा छाई है,
श्याम के लिए उमड़ श्याम घटा आई है,
होने विभोर लगे, नाचने मोर लगे,
प्रीत के मेले यहाँ, है चारों और लगे,
मधुरता है मधुवन में, गूँजे है कुंजन में,
नारायण नर कहाये हैं,
छोड़ बैकुंठ को खाटू में, श्याम आये हैं,
छोड़ बैकुंठ को खाटू में, श्याम आये हैं,
माँ सेव्यम पराजितः माँ से वर लिया,
दान कर शीश का दुनियाँ में, नाम ऐसा किया,
कृष्ण से नाम लिया, है अद्भुद काम किया,
सहारा हारे का, ये मन में ठान लिया,
'बावरा' (राजू जी बावरा ) कहता है, मस्ती में रहता है,
छोड़ बैकुंठ को खाटू में, श्याम आये हैं,
छोड़ बैकुंठ को खाटू में,
श्याम आये हैं, मस्ती में मस्त छायें हैं,
छोड़ बैकुंठ को खाटू में, श्याम आये हैं,
छोड़ बैकुंठ को खाटू में, श्याम आये हैं,
छोड़ बैकुंठ को खाटू में, श्याम आये हैं,
बात ये सुन मैंने जब, ये पग बढ़ाएं हैं,
छोड़ बैकुंठ को खाटू में, श्याम आये हैं,
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Author - Saroj Jangir
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