एक बार आओजी जवाईजी पाँवणा लिरिक्स
इस राजस्थानी लोक गीत में नायक के रूठकर ससुराल ना जाने पर उसकी सासू उसकी मनुहार करती है और उसे एक बार ससुराल आने का न्योता देती है लेकिन जवाई जी कहते हैं की उसे दूसरे अन्य काम भी हैं इसलिए वह नहीं आ सकता है।
एक बार आओजी, जवाईजी पाँवणा,
थानें सासूजी बुलावें घर आज जवाई लाडकड़ा,
सासूजी ने मालुम होवे म्हारे घर काम छै,
म्हाने करणों है लारलो काम सासूजी म्हाने माफ़ करो,
एक बार आओजी, जवाईजी पाँवणा,
थानें सुसराजी बुलावें घर आज, जवाई लाडकड़ा,
सुसराजी ने मालूम होवे भाई म्हारे आज हुयो,
म्हारे घरां छै मोकलो काम,
सुसराजी म्हाने माफ़ करो,
एक बार आओजी, जवाईजी पाँवणा,
थानें साळीजी बुलावें घर आज जवाई लाडकड़ा,
साळीजी ने मालुम होवे साढुजी ने भेजू हूँ,
म्हारा साढुजी नाचेला सारी रात,
साळीजी म्हाने माफ़ कारो,
म्हारा साढुजी नाचेला सारी रात,
साळीजी म्हाने माफ़ करो,
एक बार आओजी, जवाईजी पाँवणा,
थानें सलोजी बुलावें घर आज,
सालोजी ने मालूम होवे थारो भी ख्याल छे,
थारो आवती तीजां नै करस्यां ब्याव साळोजी म्हाने माफ़ करो,
एक बार आओजी, जवाईजी पाँवणा,
थानें बुवाजी बुलावे घर आज जवाई लाडकड़ा,
बुवाजी ने मालुम होवे म्हारा भी बुवाजी आया,
मैं तो बुवाजी ने जोडू लंबा हाथ बुवाजी म्हाने माफ़ करो,
एक बार आओजी, जवाईजी पाँवणा,
थानें लाडीजी बुलावे घर आज जवाई लाडकड़ा,
लाडीजी बुलावे है तो लाडोजी भी आवे है,
मैं तो जाऊंला सासरिये दौड़ साथिङा म्हाने माफ़ करो,
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