ऐली पैली सखरिया री पाल
विवाह के अवसर पर गाये जाने वाले इस लोक गीत मैं दूल्हे सबंध में कहा गया है की दूल्हा कोई ऐरा गैरा नहीं है जो की पैदल ही दुल्हन के घर (बरात के ठहरने के स्थान से-सरवर के किनारे पर दूल्हा और बरात रुकी हुई है ) चला जाए। जाओ और दूल्हे के ससुर जी से कह दो की वह घोड़े सामने से भेजें। दूल्हा बहुत ही सुविधा संपन्न है।
ऐली पैली सखरिया री पाल,
पालां रे तंबू तांणिया रे,
जाये वनी रे बापाजी ने कैजो,
के हस्ती तो सामां मेल जो जी,
नहीं म्हारां देसलड़ा में रीत,
भंवर पाला आवणों जी,
जाय बनी रा काकाजी ने कैजो,
घुड़ला तो सांमां भेजो जी,
नहीं म्हारे देशां में रीत,
भंवर पाला चालणों जी,
जाय बनीरा माता जी ने कैजो,
सांमेला सामां मेल जो जी,
नहीं म्हारे देशलड़ां में रीत,
भंवर पाला आवणों री,
आपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं
Rajasthani Folk Songs Lyrics in Hindi