मन चल वृन्दावन चलिए, जित्थे रहंदे सांवल शाह,
जित्थे रहंदे ने बेपरवाह, जित्थे यमुना पई ठाठा मारदी,
मन तू वी जाके गोता ला, जित्थे रिश्ते ना नाते ना अपने,
जित्थे ना कोई धूप है ना छा है, जित्थे ना कोई बहन भरा,
जित्थे निन्देया ना चुगली ना उस्तत्ति, जित्थे प्रेम दा वगे दरेआ,
जित्थे गोपी ग्वाल पाए झुमदे, मेरे मन नू वी चडिया चा,
जित्थे मस्त मलंग पए झुमदे, तू वी राधे राधे गा,
जित्थे यमुना पई ठा ठा मारदी,
जित्थे यमुना पई ठा ठा मारदी,
तू भी रज रज डुब्बियाँ ला,
मन रज गोते ला,
मन चल वृन्दावन चलिए,
मन चल वृन्दावन चलिए,
वृन्दावन सो वन नहीं, नंदगावं सम गाँव,
वंशीवट सम वट नहीं, कृष्ण नाम सम नाम,
गीत रसीले श्याम के मेरे जीवन के आधार,
छोड़ जगत जंजाल सभी कर मोहन सो प्यार,
कर मोहन सो प्यार, सुधार ले मानस सही,
तेरो लाभ यही है जगत में भज ले परम सनेही,
मात पिता बंधू सज्जन सब स्वार्थ के मीत,
तू हिय में मस्ती भर कर प्यारे, गा मोहन के गीत,
मन चल वृन्दावन चलिए, जित्थे रहंदे सांवल शाह,