दरबार तुम्हारा श्याम धणी रहमत का एक खजाना
दरबार तुम्हारा, श्याम धणी, रहमत का एक खजाना है,
भर भर झोली, सब को देना, इसका दस्तूर पुराना है,
दरबार तुम्हारा,
मजबूर दुखी दिनों को दुनिया ठुकराया करती है,
तेरा दर गम के मारों का सब से महफूज ठिकाना है,
दरबार तुम्हारा, श्याम धणी, रहमत का एक खजाना है,
दरबार तुम्हारा,
अश्कों का हार बना कर के मैं तुम चढ़ाने आया हूँ,
स्वीकार करो इसको दाता ये निर्धन का नज़राना है,
दरबार तुम्हारा, श्याम धणी, रहमत का एक खजाना है,
दरबार तुम्हारा,
ये पाँच तत्व की काया है, इक दिन इन में मिल जायेगी,
जो चीज पराई हो उस पर फिर कैसा इतराना है,
दरबार तुम्हारा, श्याम धणी, रहमत का एक खजाना है,
दरबार तुम्हारा,
मतलब में दुनिया डूबी है फिर कौन किसी का मीत यहाँ,
इक श्याम का जय सिंह है अपना ये जग सारा बेगाना है,
दरबार तुम्हारा, श्याम धणी, रहमत का एक खजाना है,
दरबार तुम्हारा,
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