मनवा तो फूला फिरै कहै जो करूँ धरम हिंदी मीनिंग Manava To Phula Phire Hindi Meaning

मनवा तो फूला फिरै कहै जो करूँ धरम हिंदी मीनिंग Manava To Phula Phire Hindi Meaning Kabir Ke Dohe

मैं जानूँ मन मरि गया, मरि के हुआ भूत |
मूये पीछे उठि लगा, ऐसा मेरा पूत ||
Main Jaanoon Man Mari Gaya, Mari Ke Hua Bhoot |
Mooye Peechhe Uthi Laga, Aisa Mera Poot || 
 
मनवा तो फूला फिरै कहै जो करूँ धरम हिंदी मीनिंग Manava To Phula Phire Hindi Meaning

दोहे का हिंदी मीनिंग: मैंने सोचा की मैंने अपने मन की तृष्णा को शांत कर दिया है, मन को मार दिया है, लेकिन मन के मरने के बाद यह भूत हो गया है और उठकर मेरे पीछे लग गया है, ऐसा मेरा पूत है। भाव है की मन की तृष्णा को शांत करना बहुत ही मुश्किल है।

मन पंछी तब लग उड़ै, विषय वासना माहिं।
ज्ञान बाज के झपट में, तब लगि आवै नाहिं।।
Man Panchhee Tab Lag Udai, Vishay Vaasana Maahin.
Gyaan Baaj Ke Jhapat Mein, Tab Lagi Aavai Naahin..

दोहे का हिंदी मीनिंग : मन का पंछी विषय वासनाओं से ग्रस्त होकर उड़ाने भरता है, यह पंछी जब ज्ञान रूपी बाज के चुंगल में फँस जाता है तब जाकर इसकी उन्मुक्त उड़ान पर रोक लगती है। इसका भाव है की ज्ञान के अभाव में ही माया, विषय वासनाएं अपने चरम पर होती हैं, मन को वश में कर लेती हैं, जब ज्ञान रूपी बाज के चुंगल में माया का मन रूपी पंछी फंसता है तब कहीं जाकर वास्तविकता का ज्ञान होता है । बुल्ले शाह ने भी कहा है-
पढ़ी नमाज़ ते नियाज़ ना सिखिया,
तेरियाँ किस कम दी पढ़ियां नमाज़ा,
ना घर दीठा ना घर वाला दीठ,
तेरियाँ किस कम्म दित्तियाँ नियाज़ा।
इल्म पढ़ेया ते अमल ना कित्ता,
तेरियाँ किस कम्म कितीयां वाजां।
बुल्हे शाह पता तद लग सी,
जदों चिड़ी फँसी हत्थ बाजां।
मनवा तो फूला फिरै, कहै जो करूँ धरम ।
कोटि करम सिर पै चढ़े, चेति न देखे मरम।।
Manava To Phoola Phirai, Kahai Jo Karoon Dharam .
Koti Karam Sir Pai Chadhe, Cheti Na Dekhe Maram..


दोहे का हिंदी मीनिंग: मन स्वंय पर अभिमान कर रहा है कि मैं दान पुन्य और भलाई का काम कर रहा हूँ, मैं तो बहुत अच्छा हूँ। लेकिन यह उसका भ्रम है उसके माथे पर तो करोड़ों पाप चढ़े हैं। यह एक रहस्य है जिसे लोग समझ नहीं रहे हैं । "एरण की चोरी करै, करै सुई की दान, ऊँचे चढ़ि कर देखता, केतिक दूर बिमान" भाव है की व्यक्ति आचरण में शुद्धता नहीं रखता है लेकिन मन में विचार करता है की उसने बहुत ही दान पुण्य किया है। एरण (बड़े लोहे का टुकड़ा जिसे लुहार रखता है) की चोरी करता है और सुई का दान करके सोचता है की वह बहुत बड़ा दानी है जो सत्य नहीं है। यदि स्वभाव में कपट है तो किये गए दान पुन्य भी शून्य हो जाते हैं।


मन की घाली हुँ गयी, मन की घालि जोऊँ।
सँग जो परी कुसंग के, हटै हाट बिकाऊँ।।

दोहे का हिंदी मीनिंग : मन के वश में आकर ही जीव की दुर्गति होती है क्योंकि मन विषय वासनाओं में ही उलझा रहता है। मन के कारण से ही जीव कुसंग में फँस जाता है और स्वंय को वासनाओं के हवाले कर देता है जो उसे बाजार में बेचने के सामान कार्य करते हैं। 

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