दुर्लभ मानुष जन्म है देह न बारम्बार मीनिंग कबीर के दोहे

दुर्लभ मानुष जन्म है देह न बारम्बार मीनिंग Durlabh Manush Janam Hai Meaning

दुर्लभ मानुष जन्म है, देह न बारम्बार।
तरुवर ज्यों पत्ती झड़े, बहुरि न लागे डार॥

Durlabh Manush Janam Hai, Deh Na Barambar,
Taruvar Jyo Patti Jhade, Bahure Na Lage Dar.
 
दुर्लभ मानुष जन्म है देह न बारम्बार मीनिंग Durlabh Manush Janam Hai Meaning

 

दोहे का हिंदी में अर्थ/मीनिंग

कबीर साहेब के इस दोहे का अर्थ है की इस संसार में मनुष्य का जन्म मुश्किल से मिलता है, मानव जीवन अनमोल है. यह मानव शरीर उसी तरह बार-बार नहीं मिलता जैसे वृक्ष से पत्ता झड़ जाए तो दोबारा डाल पर नहीं लगता, अतः हरी के नाम का सुमिरन ही जीवन मरन से मुक्ति का आधार है.मनुष्य का जन्म अत्यंत ही दुर्लभ है और यह बार-बार नहीं मिलता. जैसे एक पेड़ से गिरा हुआ पत्ता दोबारा डाल पर नहीं लगता, वैसे ही मृत्यु के उपरान्त मनुष्य को फिर से मनुष्य की देह में जन्म नहीं मिलता, आशय है की मनुष्य जीवन के महत्त्व को समझना होगा और माया अर्जित करने के स्थान पर हरी के नाम का सुमिरन करना चाहिए.
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें

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