मेरे सिर पे बाबा श्याम घुमा दे मोरछड़ी भजन
बाबा थारी मोरछड़ी रे घूमें करें कमाल,
धूम मची खाटू नगरी में, भगता करे धमाल,
हीरा मोत्याँ जड़ी जड़ी,
संकट कटे घड़ी घड़ी,
मेरे सिर पे,
मेरे सिर पे बाबा श्याम,घुमा दे मोरछड़ी,
मेरे सिर पे बाबा श्याम,घुमा दे मोरछड़ी,
शरण पड़्या महें थारी अरज करां,
खोलो पट बाबा तेरा दर्शन करां,
तेरो बहोत बड़ो रे नाम, घुमा दे मोरछड़ी,
तेरो बहोत बड़ो रे नाम, घुमा दे मोरछड़ी,
साँचो रे दयालु तू तो मेहर करें,
भोला भक्तां की बाबा झोलियाँ भरे,
पुजवा रह्यो खाटू धाम, घुमा दे मोरछड़ी,
पुजवा रह्यो खाटू धाम, घुमा दे मोरछड़ी,
बेठ्यो बेठ्यो मिठो मिठो मुस्कावे,
रोता जो भी आवे हँसता जावे,
"लहरी" (लेखक) सुमिरां,
"लहरी" (लेखक) सुमिरां, शुबहों शाम,
घुमा दे मोरछड़ी,
मेरे सिर पे बाबा श्याम,घुमा दे मोरछड़ी,
मेरे सिर पे बाबा श्याम,घुमा दे मोरछड़ी,
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हारे के सहारे श्री खाटू श्याम जी बाबा, भगवान श्रीकृष्ण के अवतार हैं, और उनकी मोरछड़ी उनके प्रतीक है। मोरछड़ी का झाड़ा श्याम भक्तों के लिए बहुत महत्व रखता है। खाटू श्याम जी की मोरछड़ी उनके भक्तों के लिए श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है। खाटू श्याम जी की मोरछड़ी से जुड़ी एक लोकप्रिय कथा है कि भगवान श्रीकृष्ण ने अपने भक्त बर्बरीक (खाटू श्याम) को वरदान दिया था कि कलयुग में उनकी पूजा मोरछड़ी के साथ की जाएगी। इसलिए, मोरछड़ी खाटू श्याम जी की पूजा का अभिन्न अंग बन गई।
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